बदलते मौसम में वायरल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है, जिससे कई तरह की बीमारियां जन्म ले लेती हैं। दिन में हो रही तेज धूप और रात में पारा गिरने से हो रही ठंड ने बच्चों की सेहत पर दुष्प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। एकतरफा लोगों को महामारी का डर सता रहा है, दूसरी तरफ बढ़ती गर्मी और उमस के कारण वायरल फीवर का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है।
इन बीमारियों में सर्दी, जुखाम, मौसमी बुखार आदि प्रमुख है। सबसे ज्यादा असर 1 से 5 वर्ष तक के बच्चों में देखा जा रहा है। मौसम का मिजाज हर दिन बदल रहा है।
दिन में तेज धूप के साथ गर्मी और सुबह-शाम ठंड पड़ने के कारण लोग बीमार पड़ रहे हैं। सामान्य दिनों की तुलना अभी हर दिन बच्चे बुखार, जुकाम और खांसी से पीड़ित हो रहे हैं। बड़े बच्चे भी उल्टी और दस्त की चपेट में आ रहे हैं। सिविल और प्राइवेट अस्पतालों की शिशु रोग ओपीडी में मरीज इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं।
अस्पतालों में मौसमी और संक्रामक बीमारियों से पीड़ित मरीज अधिक पहुंच रहे हैं। इनमें से 30-40 फीसदी बच्चे सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार व वायरल इंफेक्शन व कुछ बच्चों में निमोनिया, भूख न लगना व दस्त आने की समस्या मिल रही है। बच्चों को जुखाम, बुखार होना,खांसी का लगातार बढ़ना,तेज सांस लेना, उल्टी-दस्त होना, सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आना आदि।
बदलते मौसम में और महामारी के युग में आपको सतर्क रहने की ज़रूरत है। तेज़ी से बीमारियां बढ़ रही हैं। मौसम में बदलाव होना सभी के लिए चिंताजनक है लेकिन बच्चों के लिए ज्यादा तकलीफ-देय है।