दिल्ली-वड़ोदरा-मुंबई एक्सप्रेस-वे बनना हुआ मुश्किल तो मामला पहुंचा हाईकमान

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एक तरफ जहां सरकार हर मुमकिन प्रयास कर रही है नई नई परियोजनाओं को सिरे चढ़ाकर आमजन को ज्यादा से ज्यादा सुविधा मुहैया कराई जा सके। वही अवैध निर्माण कहीं ना कहीं ऐसे कार्य में हमेशा ही रोड़ा बन जाता है।

मगर अब दिल्ली-वड़ोदरा-मुंबई एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य शुरू न होने का मामला केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय पहुंच गया है।

दिल्ली-वड़ोदरा-मुंबई एक्सप्रेस-वे बनना हुआ मुश्किल तो मामला पहुंचा हाईकमान

दरअसल, एक्सप्रेस-वे की राह में रोड़ा बने बाईपास किनारे अवैध निर्माणों को अभी तक हटाया नहीं जा सका है। अब जब तक जगह खाली नहीं मिले, तब तक भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) उसे टेकओवर नहीं करेगी।

अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की है। इस तरह बेहद महत्वपूर्ण परियोजना पर काम शुरू नहीं हो पा रहा है।

दिल्ली-वड़ोदरा-मुंबई एक्सप्रेस-वे बनना हुआ मुश्किल तो मामला पहुंचा हाईकमान

परियोजना की राह की बाधाएं दूर न होती देख एनएचएआइ के अधिकारियों ने केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को पत्र लिखा है। इसके बाद मंत्रालय ने प्रदेश सरकार से मामले की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।

धीरज सिंह, परियोजना प्रबंधक, एनएचएआइ का कहना है कि बाईपास को 12 लेन बनाने के लिए एनएचएआइ अधिकारियों को फरीदाबाद में 26 किलोमीटर तक कुल 70 मीटर जगह चाहिए, जिसे खाली करने के लिए अवैध निर्माणों को तोड़ना जरूरी है।

दिल्ली-वड़ोदरा-मुंबई एक्सप्रेस-वे बनना हुआ मुश्किल तो मामला पहुंचा हाईकमान

यह जमीन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को खाली करानी है। प्राधिकरण के हाल ही में प्रशासक प्रदीप दहिया के साथ 6 से 7 बार एनएचएआइ अधिकारियों की बैठक भी हुई थी।