कही जांच की आंच में झुलस कर ना रह जाए अधिकारी?

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जमीन अधिग्रहण घोटाले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे परत दर परत मामले का खुलासा होता जा रहा है। रविवार को भी इस मामले की जांच की गई। मामले की जांच पलवल के जिला उपायुक्त नरेश नरवाल ने की। आरोप है कि 5- 5 लाख रुपए पाने के लिए 500 फर्जी लाभार्थियो की सूची में शामिल किया गया।

दरअसल, यूपी के दादरी से लेकर नवी मुंबई तक रेलवे कॉरिडोर का निर्माण होना है जिसके लिए करीब 8 साल पहले नोटिफिकेशन गजट जारी कर दिया गया है। रेलवे कॉरिडोर के निर्माण के लिए पलवल के कुछ गांव का अधिग्रहण किया गया था जिसमें असावटी, मेधापुर, लाडपुर, जटौला, ततारपुर पृथला गांव के 15 एकड़ जमीन शामिल है।

कही जांच की आंच में झुलस कर ना रह जाए अधिकारी?

जानकारी मिली है कि यहां 100 मीटर जमीन पर करीब 500 लोगों को मालिक बना दिया गया है। जिला उपायुक्त नरेश नरवाल व डीसीपी हेडक्वार्टर की कमेटी द्वारा लैंड एग्जीबिशन कलेक्टर ब्रांच कार्यालय और पटवारी के कार्यालय को सील कर दिया गया। एडीसी सत्येंद्र दोहन जिला परिषद सीईओ अमित गुलिया की प्राथमिक जांच में पटवारी का कार्य संदेह में पाया गया। कुछ अन्य कर्मचारियों की कार्यशैली भी शक के दायरे में हैं।


अधिग्रहण के लिए सेक्शन 4 का नोटिस जारी होने से पहले ही राजस्व विभाग के अधिकारियों ने नियमों की उल्लंघना करनी शुरू कर दी। इस पूरे खेल का खुलासा तब हुआ जब 100 मीटर की जमीन के लिए करीब 22 साढ़े करोड रुपए का मुआवजा देने की बात आई।

कही जांच की आंच में झुलस कर ना रह जाए अधिकारी?

रेलवे मंत्रालय के अधिकारियों को यह बात खटकी और उन्होंने अपने स्तर पर इस मामले की जांच की और जांच के बाद इस मामले को सीएम मनोहर लाल खट्टर के संज्ञान में लाया। इसकी जान जब शुरू हुई तो परत दर परत मामला खुलता चला गया।