महामारी के दौरान गरीब से गरीब अमीर से अमीर लोगों की जॉब चली गई। जिसकी वजह से उनको काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जॉब के बारे में बताएंगे।
जो जरूरतमंद लोगों के लिए एक पैसा कमाने का जरिया है। इस जॉब के जरिए जहां एक और वह पैसा कमाएंगे। वहीं दूसरी और वह जिले को स्वच्छ या फिर यूं कहें साफ करने में भी अपना योगदान देंगे।
इसके लिए सिर्फ उनको कुछ समय जिले की सड़कों व पार्को में गुजारने पड़ेंगे। जैसे जानते हैं इन दिनों पतझड़ का मौसम चल रहा है। सड़कों पर, पार्को में, घरों में, घर के गार्डन में जगह-जगह आपको सूखे पत्ते नजर आ जाएंगे। इसकी वजह से आपको लगता है कि आपका शहर कितना गंदा है।
लेकिन अगर आप उसी शहर को साफ करना चाहते हैं और इन पत्तों से पैसा कमाना चाहते हैं। तो आपके लिए सेक्टर 15 आरडब्लूए एक मुहिम लाई है। जिससे जरूरतमंद लोग आसानी से इन पत्तों के जरिए। जरूरतमंद लोगों इन सूखे पत्तों के जरिए कुछ पैसे कमा सकते हैं।
सेक्टर 15 के मकान नंबर 416 में रहने वाले निर्मल के द्वारा एक ऐसी मशीन बनाई गई है। जिससे जिले के सभी सूखे पत्ते चाहे वह किसी भी पेड़ के हो उसको मशीन के जरिए इतना सीख जाता है या फिर यूं कहें इतने छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए जाते हैं कि वह एक खाद का रूप ले लेती है और उन टुकड़ों को हम अपने पार्क, गार्डन या ऐसी जगह जहां पर हमने छोटे पेड़ लगाए हुए हैं चाहे वह गमले ही क्यों ना हो उस में डाल सकते हैं और वह एक खाद का काम करते हैं।
क्योंकि इन पत्तों में इन पत्तों की वजह से मिट्टी में जो नमी होती है। वह काफी समय तक रहती है और गर्मी के दिनों में उस नमी का फायदा होता है। निर्मल ने बताया कि वह पूर्व जनरल सेक्रेटरी सेक्टर 15 आरडब्लूए भी रह चुके हैं। उस दौरान उनको पता चला कि उनके सेक्टर में करीब 60 प्रतिशत जो कूड़ा है।
वह ग्रीन वेस्ट यानी सूखे पत्तों का है इसको ना तो कोई इकोग्रीन की गाड़ी ले जाती है। किसकी वजह से इनको अपने ट्रैक्टर के जरिए ही फेकने पढ़ते हैं। जिसकी वजह से उनके ट्रैक्टर को हर दिन करीब 10 से 12 चक्कर लगाने पड़ते हैं। जो कि उनको डीजल की वेस्ट और पॉल्यूशन भी करता है।
इसी चीज को ध्यान में रखते हुए उनके द्वारा एक ऐसी मशीन बनाई गई। जिससे कि सेक्टर 15 के सूखे पत्ते बाग ग्रीन वेस्ट को पीसकर खाद का रूप दे देते हैं और यह खाद उनके द्वारा पार्कों में व घरों घरों के अंदर बने छोटे गार्डन में प्रयोग किया जा रहा है।
इस मशीन की लागत करीब 30 से 35000 है और उन्होंने बताया कि 1 साल तक उनके द्वारा इस मशीन की सर्विस फ्री में की जाती है। अगर उसके बाद मशीन में किसी प्रकार की कोई समस्या आती है। तो उसके लिए उनके द्वारा सर्विस चार्ज है। उन्होंने बताया देश भर में करीब 20 से अधिक मशीनें अभी तक अप्लाई कर चुके हैं।
1 रुपए प्रति किलो से खरीद रहे है पत्ते
सेक्टर 15 आरडब्ल्यूए के प्रधान नीरज चावला ने बताया कि निर्मल के द्वारा जो मशीन बनाई गई है। उसे उन को काफी फायदा हो रहा है। क्योंकि सेक्टर में 15 से 70% कूड़ा सूखे पत्ते व ग्रीन वेस्ट का होता है। जिस को लाने ले व ले जाने के लिए उनको काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
इस मशीन के आने से उनको तो फायदा हुआ ही है। साथ ही उनके एरिया में जो भी माली है उनको भी फायदा हुआ है। क्योंकि आरडब्ल्यूए के द्वारा माली को एक किलो पत्ते के हिसाब से एक रुपया के हिसाब से खरीदे जा रहे हैं। किसी के घर से 50 किलो ग्रीन वेस्ट लेकर आता है तो उसको तुरंत ₹50 दे दिए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि इस मुहिम के तहत एक और तो हो शहर को स्वच्छ कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जरूरतमंद लोगों को पैसे कमाने का जरिया भी प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिले में अगर कोई भी व्यक्ति उनके पास आकर पत्तों को दे सकता है। उसको तुरंत किलो के हिसाब से पैसे दे दिए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि इन पत्तों के जरिए खाद बनाया जाएगा। जिसके बाद उसको जो भी व्यक्ति खरीद सकता है और जो पैसा आएगा वह भी उन्हीं माली व मशीन चलाने वाले को दे देंगे। क्योंकि उनका कहना है कि यह उन्हीं की मेहनत है हम तो सिर्फ एक जरिया है और पैसा गरीबों की मदद के लिए काम आ जाएगा।