हवाओं में घुलते संक्रमण ने किया रंगो के त्यौहार पर वार, ठप्प हुआ मार्केट का व्यापार

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कोरोना या फिर कोविड-19, क्या कहें इसे। महामारी या फिर एक घातक बीमारी। यह नाम ऐसा है जिसे पिछले एक साल से हर व्यक्ति ना सुन चुका है बल्कि इस भयंकर बीमारी के बारे में बारीकी से जान चुका है। बल्कि बच्चा बच्चा तक जन चुका है कि ना बीमारी केवल जानलेवा है

बल्कि इस बीमारी ने हर क्षेत्र में अपना पांव इस तरह का पसारा है कि यूं कहें सकते है कि स्वर्ग को भी नर्क बना दिया है। चाहे कोई त्यौहार हो या फिर शादी समारोह का उत्सव, इस घातक बीमारी ने हर व्यक्ति से खुश रहने की वजह तक छीन ली है।

हवाओं में घुलते संक्रमण ने किया रंगो के त्यौहार पर वार, ठप्प हुआ मार्केट का व्यापार

महज अब एक दिन की दूरी है और रंगों का त्योहार या फिर यूं कर खुशियों का त्यौहार दस्तक देने को है। मगर बढ़ते हुए संक्रमण की संख्या ने अब लोगों के दिल में फिर एक बार दहशत पकड़ ली है।

यही कारण है कि इतने हर्षोल्लास से मनाए जाने वाले तोहार पर भी मार्केट सुनी सुनी दिखाई दे रही है। इतना ही नहीं व्यापारियों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं,

हवाओं में घुलते संक्रमण ने किया रंगो के त्यौहार पर वार, ठप्प हुआ मार्केट का व्यापार

और ऐसा हो भी क्यों ना पूरे वर्ष जिस तोहार का ना सिर्फ पूरा भारत वहीं छोटे छोटे व्यापारी भी इंतजार करते हैं ताकि वह छुटमुट कमाई के जरिए ही हर त्यौहार को खुशी से मना सके, मगर यह बात संक्रमण को हजम कहां होगी।

हर साल जहां होली के अवसर पर रंगों से भरी हुई दुकानें और हवाओं में घुलता खुशी का माहौल ऐसा होता था कि बाजारों में पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती थी। लोग इतने उत्साह के साथ में मार्केट जाते थे और होली के लिए अलग-अलग पकवान से लेकर पिचकारी व रंगों की खरीदारी करते थे।

हवाओं में घुलते संक्रमण ने किया रंगो के त्यौहार पर वार, ठप्प हुआ मार्केट का व्यापार

मगर इस बार ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा है। ऐसा हम नहीं बल्कि बल्लभगढ़ मार्केट की सुनी सुनी तस्वीरें खुद बयान कर रही है। जहां व्यापारी अपने सामान को बेचने के लिए एक टकटकी लगाए ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं।

मगर आलम यह है कि संक्रमण के डर के चलते अब लोग ना सिर्फ तोहार से गुरेज कर रहे हैं बल्कि मार्केट से सामान खरीदना भी मुनासिब नहीं समझ रहे हैं।