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किसानों की बैठक से फिर रफ्तार पकड़ने लगा आंदोलन, 24 घंटे के लिए केएमपी बंद रखने की मांग

महज 2 दिन पहले आयोजित किसानों की बैठक से एक बार फिर आंदोलन में तीव्रता देखने को मिली है। यह हम नहीं बल्कि टिकरी बॉर्डर पर उमड़ती हुई किसानों की संख्या खुद-ब-खुद बयान कर रही है। इसका सकारात्मक असर मंच पर खड़े भाषण दे रहे किसान नेताओं के चेहरों पर चमक के रूप में देखने को मिल रही है।

अब आंदोलन को तूल पकड़ते हुए
10 अप्रैल को 24 घंटे केएमपी बंद रखने के लिए एक दो दिनों में डयूटी लगाने की बात की। वहीं शुक्रवार की सभा में पाला राम प्रधान नोगामा खाफ बीबीपुर हरियाणा द्वारा भी टिकरी बॉर्डर पर पहुंचकर किसानाें को समर्थन दिया।

किसानों की बैठक से फिर रफ्तार पकड़ने लगा आंदोलन, 24 घंटे के लिए केएमपी बंद रखने की मांगकिसानों की बैठक से फिर रफ्तार पकड़ने लगा आंदोलन, 24 घंटे के लिए केएमपी बंद रखने की मांग

किसानों का कहना है कि हम गर्मी में भी इस आंदोलन में बैठे है किसानों की लगातार शहादत हो रही है सरकार को इस बात की कोई चिंता नही है मोदी जी पार्लियामेंट में किसानों को आंदोलन जीवी कह रहे हैं हम आंदोलन जीवी है अपने हको के लिए लड़ना सभी का हक होता है।

मोदी सरकार तानाशाही कर रही है मोदी की इस भाषा को सदियों तक किसान याद रखेगा में हरियाणा और पंजाब के किसानों को बधाई देता हूं कि इन्होंने भाजपा के मंत्री एमएलए को गाड़ियों में घूमना बंद कर दिया पूरा देश किसानों के साथ खड़ा है

कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठन लंबी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं। जहां तस्वीरों में देखा गया था कि कड़कड़ाती ठंड में भी किसानों ने डटकर अपने आंदोलन का समर्थन किया था। रात भर सड़कों पर हम बैठे रहे लेकिन अपने कदम पीछे हटाना मुनासिब नहीं समझा। वहीं अब सर्दियों के बीच आने के बाद सूरज की रोशनी जहां एक ओर पसीना बहा रही है वहीं दूसरी तरफ किसानों के हौसले भी बहते हुए पसीने के साथ में बुलंद होते जा रहे हैं।

हर बढ़ते हुए दिन के समय घर में गर्मी भी अपने तेवर दिखाने लगी है। उसी के अनुरूप अब ढासा बॉर्डर के धरने पर भी परिवर्तन नजर आने लगे हैं।

पहले टेंट को पूरी तरह से ढक कर बनाया गया था, ताकि ठंडी हवा, तेज सर्दी किसानों को परेशान ना करें। अब दिन में सभा स्थल के रूप में प्रयोग होने वाले टेंट को चारों तरफ से खोल दिया गया है, ताकि धरने पर बैठे किसानों को आर-पार की हवा लग सके।

सभा स्थल पर कूलर और पंखों का इंतजाम भी कर दिया गया है और किया जा रहा है। किसानों ने अलग से अपनी झोपड़ी है बनानी शुरू कर दी हैं। इन झोपड़ियों के ऊपर घास-फूस, सरकडे आदि की टाटियां तैयार की जा रही हैं, जिनको झोपड़ियां के ऊपर छत के रूप में प्रयोग किया जाएगा। धरना स्थल और सभा स्थल पर किसानों, आने वाली महिलाओं व अन्य को ठंडा पानी मिल सके इसके लिए आंदोलनरत किसानों को दीपक धनखड़ कासनी ने वाटर कूलर भी भेंट स्वरूप दिया है।

धरने पर वाटर कूलर लगाए जा रहे हैं, ताकि गर्मी में किसानों को ठंडा पानी मिल सके। इसके अलावा भी ढासा बॉर्डर पर गुलिया खाप की अध्यक्षता में चल रहे धरने के ऊपर आगे झुलसा देने वाली गर्मी से बचने के लिए अनेकों प्रयास किए जा रहे हैं।

किसानों का पूरा प्रयास है कि आंदोलन की समाप्ति की कोई समय सीमा नहीं है। आंदोलन लंबा चलने की उम्मीद है। इसी को ध्यान में रखते हुए किसान गर्मी से निपटने की तैयारियों में लगे हुए हैं।

Avinash Kumar Singh

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Avinash Kumar Singh

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