भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में सत्ता का सुख सबसे बड़ा सुख माना जाता है। आए दिन राजनेता सत्ता के सुख के चक्कर में पार्टी बदलते हुए नजर आते हैं। बहुत कम ही राजनेता पार्टी की तरफ समर्पित रहते हैं परंतु फरीदाबाद के प्रसिद्ध मंत्री विपुल गोयल अपनी कठिन परिस्थितियों में भी पार्टी के साथ खड़े दिखाई देते हैं और पार्टी हित में कार्य करते हैं।
दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में विपुल गोयल की कार्यों को देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार पार्टी विधायक पद का टिकट विपुल गोयल को मिलेगा परंतु पार्टी आलाकमान ने उन्हें टिकट नहीं दिया और टिकट का दावेदार नरेंद्र गुप्ता को बना दिया।
राजनीतिक विशेषज्ञ यह कयास लगा रहे थे कि शायद अब विपुल गोयल विपक्षी पार्टी का दामन थाम ले परंतु विपक्षी पार्टी द्वारा दिया गया लालच भी पार्टी के प्रति उनकी कर्तव्य निष्ठा की भावना को तोड़ नहीं पाया। यह भी कयास लगाए जा रहे थे कि विपुल गोयल के घनिष्ठ मित्र कहे जाने वाले नरेंद्र गुप्ता से उनकी दूरियां बढ़ जाएंगी परंतु ऐसा नहीं हुआ। विपुल गोयल अपनी कठिन परिस्थितियों के दौरान भी पार्टी के साथ खड़े रहे और पार्टी हित में कार्य करने लगे।
बहरहाल, राजनीतिक तनातनी के बीच नरेंद्र गुप्ता ने ओल्ड फरीदाबाद विधानसभा सीट से भारी मतों के साथ विजय प्राप्त की। फतेह करने के बाद विपुल गोयल ने नरेंद्र गुप्ता को बधाई दी तथा आगामी दिनों में अच्छे काम करने के लिए शुभकामनाएं भी दी।
पार्टी हित के प्रति समर्पित विपुल गोयल हमेशा से ही पार्टी हित के प्रति समर्पित रहे हैं। भाजपा आलाकमान द्वारा जारी किसी भी प्रकार के दिशा निर्देश हो या फिर किसी नई योजना का शिलान्यास किया गया हो इन सभी चीजों की जानकारी विपुल गोयल अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से जनता तक पहुंचाते हैं वहीं बीते दिनों विपुल गोयल असाम यात्रा पर थे जहां उन्होंने पार्टी को मजबूत करने के लिए कई अहम बैठकों का आयोजन किया तथा चुनाव में पार्टी रणनीति पर असम के कार्यकर्ताओं से विचार विमर्श किए।
आपको बता दें कि जब पूरा प्रदेश महामारी के संक्रमण से जूझ रहा था उस समय विपुल गोयल मसीहा के रूप में उभरे तथा उन्होंने महामारी के दौरान लोगों को मुफ्त में दवाइयां बांटी।