वैसे तो पूरा भारत ही ऐतिहासिक सामग्रियों से परिपूर्ण है कहीं ऐतिहासिक ताज महल तो कहीं सात अजूबों में चाइना की दीवार भी दर्शक हो या फिर आमजन के लिए किसी रहस्य में खजाने से कम नहीं है जिसे जानने हर व्यक्ति इच्छुक होता है।
ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर फरीदाबाद के मुजेसर में बना हुआ है जहां प्रवेश करते ही बाबा हृदयराम का नाम कानों में गूंज पड़ता है।
हरियाले प्रदेश हरियाणा के विभिन्न गांवों व शहरों में बने अनेक मंदिर और धार्मिक स्थल विभिन्न देवी-देवताओं तथा साधु-संतों के प्रति यहां के लोगों की अटूट श्रद्धा को बयां करते हैं।
फरीदाबाद जिले के गांव मुजेसर में बना धार्मिक स्थल बाबा हृदयराम धाम भी बाबा के तेज व तप के कारण दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।
दरअसल, यहां पर आने वाले भक्तों के द्वारा किए जाने वाले गुणगान के कारण हर वक्त कानों में बाबा हृदयराम के नाम की गूंज सुनाई पड़ती है।
इस बाबा हृदयराम धाम के भव्य प्रवेश द्वार से अंदर प्रवेश करते ही मंदिर में बाबा हृदयराम की भव्य प्रतिमा को स्थापित किया गया है जो यहां पर आने वाले हर साधक को अनायास ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है।
गांव मुजेसर के श्रद्धालु अभिषेक व अन्य भक्तों का मानना है कि प्राचीन समय में यहां पर बाबा हृदयराम धूणा लगाकर रहते थे तथा भरतपुर से आए तत्कालीन राजा ने बाबा के तप और तेज के आगे नतमस्तक होकर आस्थावश इस धार्मिक स्थल को बाबा हृदयराम के लिए बनवाया था।
श्रद्धालुओं का मानना है कि बाबा के कहे अनुसार जो सच्चे मन से इस धाम पर आकर पूजा-अर्चना करता है तो उसके सब दुख दूर हो जाते हैं।
यह ग्रामीण श्रद्धालुओं की बाबा हृदयराम में गहरी आस्था का ही परिणाम है कि गांव मुजेसर के श्रद्धालु अपने हर शुभ कार्य से पहले बाबा का नाम लेना नहीं भूलते। ग्रामीणों द्वारा यहां पर भैंस के ब्याने के बाद दूध चढ़ाने की परंपरा भी है।
यहां पर प्रत्येक रविवार को की जाने वाली पूजा-अर्चना व भजन-कीर्तन में आसपास ही नहीं बल्कि दूर-दराज से आकर अनेक श्रद्धालु बाबा का गुणगान करते हैं तथा धाम की पश्चिम दिशा में बने तालाब से श्रद्धालु मिट्टी भी निकालते हैं।
उत्तर की ओर हरियाले पेड़ व बाग-बगीचे जहां प्रकृति की मनोरम छटा को बिखरते हैं, वहीं इस दिशा में बना कुश्ती का अखाड़ा खेल प्रतिभाओं को तराशने में अहम भूमिका निभा रहा है।
इस आध्यात्मिक वातावरण के बीच दिनभर पक्षियों की चहचाहट व कलरव मन को असीम शांति प्रदान करते हैं। वर्तमान में पुजारी व संरक्षक के तौर पर मौन धारण किए हुए बाबा मौनीराम व राजेंद्र दास सेवा कर रहे हैं।
गांव के बुजुर्ग बिजेंद्र, रंगलाल व लाोधीराम मंदिर की देखरेख और पूजा-पाठ में अप्रतिम योगदान दे रहे हैं तथा साथ ही गांव के अनेक युवा भी भक्तों की सेवा में तत्पर रहते हैं। यहां पर हर वर्ष सितंबर माह में दूर-दूर से आकर अनेक श्रद्धालु सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामना करते हुए विशाल भंडारे का आयोजन भी करते हैं।