अप्रैल का महीना शुरु हो चुका है और शहर में आपको जगह-जगह निजी स्कूल के विज्ञापन के बोर्ड नजर आ जाएंगे। लेकिन उन बोर्ड को लगाने के लिए उनको प्रशासन से परमिशन लेनी होती है। परमिशन लेने के बाद भी उन को जगह दी जाती है कि वे इसी जगह पर अपने विज्ञापन को लगा सकते हैं।
लेकिन जिले में जगह-जगह बिना परमिशन के ही विज्ञापन लगे हुए नजर आ जाएंगे। जिससे आम जनता को कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है। जी हां मैं बात कर रही हूं आईएमटी चौक की। जहां पर रेड लाइट लगी हुई है और उस रेड लाइट के आगे एक निजी स्कूल के द्वारा अपने एडमिशन ओपन का विज्ञापन बोर्ड लगा दिया गया है।
जिसकी वजह से दिल्ली से पलवल की ओर जाने वाले लोगों को पता ही नहीं चलता कि उनकी रेड लाइट कब ग्रीन हो जाती है और कई बार उनकी रेड लाइट मिस भी हो जाती है। जिसकी वजह से ट्रैफिक जाम हो जाता है।
आईएमटी चौक एक चौराहा है जिसके एक तरफ तो पलवल की तरफ जाता है। दूसरा दिल्ली के तरफ। वही 1 आईएमटी इंडस्ट्रियल एरिया की ओर जाता है और दूसरा हिस्सा उसका सेक्टर 2 की तरफ जाता है। इस चौराहे पर सेक्टर 2 की तरफ एक पुलिस बूथ भी बना हुआ है। लेकिन पलवल की ओर जाने वाली रेड लाइट के आगे सेक्टर 62 स्थित आशा ज्योति विद्यापीठ पब्लिक स्कूल का विज्ञापन बोर्ड लगा हुआ है।
जिसमें उन्होंने एडमिशन ओपन के बारे में लोगों को जानकारी दे रहे हैं। लेकिन उनके द्वारा जो यह बोर्ड लगाया गया है वह रेड लाइट किस ठीक सामने लगा दिया गया है। जिसकी वजह से पलवल की ओर जाने वाले लोगों को पता ही नहीं चलता कि कब उनकी रेड लाइट ग्रीन हो जाती है। ऐसा नहीं है कि रेडलाइट एक ही लगी हुई है।
रेडलाइट दो लगी हुई है लेकिन एक रेड लाइट जो है वह ऊंची है जो कि दूर से आने वाले वाहनों चालकों को ही नजर आएगी। जिसकी वजह से पीछे वाले वाहन चालकों के द्वारा है जब हॉर्न दिया जाता है। तभी आगे वाले वाहन चलते हैं और इसकी वजह से उनकी ग्रीन लाइट रेड लाइट हो जाती है। कई बार उस चौक पर जाम लग जाता है।
पुलिस बूथ बने होने के बावजूद भी पुलिस के द्वारा उस बोर्ड को हटाया नहीं गया या फिर पुलिस ने लगाते वक्त उस पर ध्यान नहीं दिया गया। जिसकी वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। अगर हम बात करें इन सभी विज्ञापनों की तो इसमें से ज्यादातर विज्ञापनों ने नगर निगम व एचएसबीपी के द्वारा परमिशन ही नहीं लिखी हुई है।
क्योंकि इन दोनों विभाग के द्वारा शहर में जगह फिक्स की गई हुई है। जहां पर वह विज्ञापन लगा सकते हैं और उनका उनको चार्ज देना पड़ता है। लेकिन स्कूल के द्वारा या फिर यूं कहें अन्य विज्ञापन जो भी शहर में लगाए जा रहे हैं। वह बिना परमिशन और बिना जगह के लगाए जा रहे हैं। क्योंकि इनमें से ज्यादा विज्ञापन तो बिजली के खंभे पर लगे हुए हैं जो कि अनऑथराइज्ड है।