कैसे मिलेगा लाखों मरीजों का उपचार जब डिस्पेंसरी में डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ ही नहीं होगा

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अभी भी महामारी का कहर थम नहीं रहा है। अभी भी कई ऐसे जिले हैं जिसमें लगातार मरीजों के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। महामारी दिन प्रतिदिन और बढ़ती जा रही है। इस महामारी में जहां मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा है।

वही हमारे डॉक्टर जो दिन रात हमारी सेवा में लगे हुए हैं। उनमें कई डॉक्टर ऐसे भी हैं जो अपनी जान गवा चुके हैं। पर उसके बावजूद मरीज को ठीक करने में जुटे हुए हैं हुए हैं।

कैसे मिलेगा लाखों मरीजों का उपचार जब डिस्पेंसरी में डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ ही नहीं होगा

जैसे-जैसे यह महामारी और घातक साबित होती जा रही है। वहीं डॉक्टरों के ट्रांसफर भी बढ़ते जा रहे हैं। जिससे और परेशानियां भी बढ़ती जा रही हैं। इस समय जहां हमें ज्यादा डॉक्टरों की जरूरत है। वही हमें उतने डॉक्टर्स नहीं मिल पा रहे हैं। दिन प्रतिदिन डॉक्टरों का स्टाफ भी कम होता जा रहा है।

इस महामारी के कहर में जहां अस्पतालों में स्टाफ की कमी होती जा रही हैं। वहीं अस्पतालों और साथ ही साथ मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार के द्वारा हिसार व पानीपत में दो बड़े कोविड-19 जा रहे हैं उन्हीं को भी सेंटर डॉ व पैरामेडिकल की नियुक्ति के लिए जिले के 10 डिस्पेंसरी के 78 डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ का ट्रांसफर किया जा रहा है।

कैसे मिलेगा लाखों मरीजों का उपचार जब डिस्पेंसरी में डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ ही नहीं होगा

इनको पानीपत और हिसार में बन रहे कोविद सेंटर में भेजा जा रहा है। ईएसआई कि 12 डिस्पेंसरी और सेक्टर 8 में बड़ा हॉस्पिटल है। इसके अलावा एनआईटी तीन नंबर सेट ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में 500 बेड का कोविद सेंटर बनाया हुआ है।

ईएसआई मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के ओपीडी बंद होने की वजह से मरीज अब डिस्पेंसरी में जाने लगे हैं। लेकिन अगर अब उन्हीं डिस्पेंसरी के डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ का ट्रांसफर पानीपत वा हिसार में कर दिया जाएगा। तो ओपीडी में आने वाले मरीजों को कैसे उपचार मिलेगा ।

कैसे मिलेगा लाखों मरीजों का उपचार जब डिस्पेंसरी में डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ ही नहीं होगा

जिससे यहां के मरीजों को और भी ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी वजह से ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखा और उन्हें यह बताया कि अगर आने वाले और मरीजों को डिस्पेंसरी में भेजा गया।

तो वहां भी डॉक्टर की किल्लत है, वहां 10 डॉक्टरों का काम सिर्फ 4 डॉक्टर जी कर रहे हैं। जो बहुत बड़ी परेशानी बन सकती है इसलिए मरीजों के साथ साथ ही डॉक्टर का भी उतना ही ध्यान रखा जाए और ज्यादा से ज्यादा हॉस्पिटल्स में स्टाफ को बढ़ाया जाए।