कोरोना वायरस के कारण लोगो को अनेको असुविधा हो रही हैं आम जन जीवन अस्त व्यस्त कर दिया गया हैं और कोई भी व्यक्ति इस बात से अछूता नहीं है कि संक्रमण दिनोंदिन काल बनकर आमजन के जनजीवन को अस्त-व्यस्त करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहा है।
इसके अलावा रही सही कसर जो बाकी है उसे देश के नेता बखूबी अपने प्रयास से जनजीवन के लिए परेशानियों का अंबार खड़ा कर पूरा करने में लग रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं हरियाणा के बीजेपी मनोहर लाल खट्टर सरकार और दिल्ली जो की भारत की राजधानी है उसके मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की। दरअसल, इन नेताओं सहित देशभर के नेता यही चाहते हैं कि उनके राज्य में यह संक्रमण जितना जल्दी हो सके खत्म हो जाए।
इसके लिए हर राज्य के नेता दिन प्रतिदिन अपने आदेशों में फेरबदल कर रहे हैं ताकि कोरोनावायरस के संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सके और जल्द ही इस संक्रमण नामक काल से अपने देश को बचाया जा सके। चलिए यह तो रही देश हित की बात इसमें सुधार करना इन नेताओं के हाथ में तो होता है।
लेकिन राज्यों के बीच यह खीच तान जनता के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है, और बने भी क्यों ना। आए दिन इन नेताओं के मूड परिवर्तन के बारे में आमजन के जीवन में परेशानियों की बौछार होती जा रही है लेकिन उधर नेताओं को अपनी राजनीति के अलावा कुछ सूझे तो ही इन आमजन के ऊपर उनका ध्यान केंद्रित हो।
जैसा कि सबसे पहले हरियाणा सरकार ने अपने राज्य में संक्रमण को रोकने के लिए दिल्ली से आने वाले हर व्यक्ति के लिए हरियाणा से लगते सभी बॉर्डर को सील कर दिया था।
दिल्ली का कोई भी व्यक्ति हरियाणा पा ना कर सके और ना ही हरियाणा का कोई व्यक्ति दिल्ली की सीमा लांघ सके। इसके बाद जब दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप किया तो हरियाणा सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा और उन्होंने ईपास का माध्यम लेकर दिल्ली में आवागमन को सुचारू कर दिया।
वहीं अब दिल्ली सरकार ने 1 सप्ताह के लिए दिल्ली के साथ लगते सभी बॉर्डर को सील कर दिए है, यह सब होता देख हरियाणा सरकार पीछे रहती तो हरियाणा सरकार ने भी मंगलवार को हरियाणा के सभी बॉर्डर को सील कर दिया। इस बीच आमजन अभी भी असमंजस में है कि बॉर्डर सील होने के बावजूद बॉर्डर पर लोगों का आवागमन सुगम कैसे हैं?