संकट के समय में एकजुट होकर मुश्किल का सामना करना हम हिंदुस्तानियों की सबसे बड़ी खासियत है। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रसार के चलते पैदा हुए संकट के समय भी ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है। राष्ट्रपति से लेकर मंत्री, सरकारी संगठनों से लेकर व्यक्तिगत और निजी संस्थाओं, उद्यमियों से लेकर फिल्मी हस्तियों तक ने इस मुश्किल की घड़ी में बढ़-चढ़कर योगदान किया हैl
तीन महीने पहले चीन के वुहान शहर से हुआ कोरोना का कहर देखते ही देखते दुनिया के लगभग सभी देशों तक पहुंच गया है। भारत मे ही इस कोरोना ने अपने पैर पसार चुका हैं इस समय उन लोगो का काम बढ़ा दिया जो प्रतिनिधि के पद पर काबिज है उनके सामने चिंता थी तो अपने- अपने क्षेत्र की जनता की ।
अब सवाल था कि जनता कैसे इस महामारी इसका सामना करेगी क्योंकि इस कोरोनावायरस की वजह से पूरे देश में लॉक डाउन घोषित किया गया है लोगों के पास एक समय तक जमा पूंजी थी पर धीरे-धीरे वह भी खत्म होने लगी । लेकिन एक कुछ ऐसे लोग थे जिनको बहुत परेशानी हुई ।
कोरोना के कारण आई इस मुश्किल की घड़ी में सबसे बड़ा सवाल यह था कि अब जिम्मेदारी कौन उठाएगा तो इस सवाल का जवाब दिया क्षेत्र के चुनिंदा प्रतिनिधियों ने अपनी भूमिका निभा कर ।
फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र में 6 प्रतिनिधि शामिल होते हैं इनमें से मात्र 3 ही इस संकट की घड़ी में नजर आए। अन्य को देखने के लिए क्षेत्र की जनता की आंखें तरस गई हो सकता है नदारद रहे जनप्रतिनिधि को लगा हो कि भाई जान है तो जहान हैं
किसने किया जमीनी स्तर पर काम
बड़खल विधानसभा की विधायिका सीमा त्रिखा ने अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए निरंतर अपने यह प्रयास किए कि अपने क्षेत्र की जनता को किसी भी प्रकार की कोई भी समस्या ना होने पाए अन्यथा इन पूरे 70 दिनों में वह जनता के बीच ही दिखाई दी
वही एनआईटी फरीदाबाद के विधायक नीरज शर्मा भी लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे साथ ही धरने पर भी बैठ कर कहीं ना कहीं इस मुश्किल घड़ी में विधायक नीरज शर्मा की मौजूदगी जनता के बीच नजर आई
वही फरीदाबाद ओल्ड विधानसभा के विधायक नरेंद्र गुप्ता में भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए फोटो की समस्याओं को सुना तथा उनको दूर करने का प्रयास किया लॉक डॉउन के समय मे लोगो को भोजन की भी व्यवस्था की गई अपने अथक प्रयास किये गए कि NIT 89 की जनता को इस मुश्किल घड़ी में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े
इस मुश्किल घड़ी में नेता का साथ पाकर जनता को लड़ने की हिम्मत मिली हैं हालांकि कोरोना को लेकर बहुत सारे लोगों के मन में अभी भी यह भय व्याप्त है कि कोरोना का संक्रमण होने के पश्चात् मौत निश्चित है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है।
अभी तक के आंकड़े देखें तो कोरोना संक्रमण के बाद भी दुनियाभर में हजारों मरीज ठीक हो चुके हैं। हाल ही में एम्स द्वारा मरीजों के लिए जारी जागरूकता दिशा-निर्देश पुस्तिका में स्पष्ट किया गया है कि कोरोना संक्रमित केवल 20 फीसदी मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ती है, जिनमें से कुछ को गहन चिकित्सा निगरानी कक्ष में रखा जा रहा हैं