नगर निगम के अंतर्गत आए दिन घोटाले के नए-नए मामले सामने आते हैं वहीं इस बार भी पेमेंट से संबंधित एक नया मामला सामने आया है जिसमें नगर निगम के अकाउंट विभाग के अधिकारियों के द्वारा फर्जी बिल बनाकर ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया।
दरअसल, बड़खल विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कुछ वार्डो के पार्षदों को 2019 में पास किए गए बिलों की कॉपी प्राप्त हुई जिसमें कार्य लागत से दुगनी रकम की पेमेंट ठेकेदारों को की गई। वार्ड नंबर 17 के पार्षद राकेश भड़ाना तथा वार्ड 14 के पार्षद जसवंत सिंह के पास बिलों की कॉपी पहुंची जिसमें पेमेंट में काफी गड़बड़झाला पाया गया।
इस बारे में दोनों पार्षदों ने मेयर सुमनबाला को सूचित कर दिया है। पार्षदों के अनुसार 2019 में वार्डों में इंटरलॉकिंग तथा ट्यूबवेल लगाने का काम एक ही ठेकेदार को दिया गया है। यह वही ठेकेदार है जिसकी जांच विजिलेंस टीम कर रही है।
यदि किसी ट्यूबेल को लगाने का खर्चा 4 से 5 लाख है तो बिलों में दुगना दिखाया गया है। इस मामले में अकाउंट विभाग से करीब 80 से 90 लाख रुपए की पेमेंट दिखाई गई है। इस विषय में नगर निगम कमिश्नर गरिमा मित्तल ने बताया कि इसकी जांच विजिलेंस में चल रही है ऐसे में हमारा कुछ भी बोलना ठीक नहीं होगा।
गौरतलब है कि इससे पहले भी नगर निगम से भ्रष्टाचार के अनेक मामले सामने आ चुके हैं। ठेकेदारों को बिना काम किए पेमेंट कर देना या फर्जी बिल बनाकर पेमेंट करवा देना निगम में कोई बड़ी बात नहीं है। सरकार की ओर से भ्रष्टाचार के मामलों में कोताही बरती जा रही है वहीं जांच में भी काफी लेट लतीफी देखने को मिल रही है।
ट्विटर के माध्यम से भी मांगी गई जानकारी
एक्टिविस्ट धर्म सिंह ने ट्वीट के माध्यम से नगर निगम से पूछा कि ट्यूबवेल लगाने का खर्चा एक करोड़ 95 लाख रुपए कैसे हो सकता है। इस विषय का जवाब देते हुए निगम ने बताया कि ऐसा कोई एस्टीमेट कभी निगम ने पास ही नहीं किया है।
बहरहाल यह सोचने का विषय है कि और ना जाने कितने घोटाले नगर निगम में चल रहे हैं जिनका खुलासा कभी को ही नहीं पाया है।