जैसे-जैसे महामारी का दौर कम होता नजर आ रहा है। वैसे ही ब्लैक फंगल बीमारी के मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। लेकिन जिस तरह महामारी के द्वार में मरीजों को ऑक्सीजन व बेड की सुविधा नहीं मिल पा रही थी।
वैसे ही ब्लैक फंगल बीमारी के मरीजों को इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं। जिसकी वजह से कई मरीजों के ऑपरेशन में देरी आ रही है। वह कई मरीजों की इंजेक्शन समय पर नहीं मिलने की वजह से शरीर के विभिन्न अंग खराब होते हुए नजर आ रहे।
हरियाणा में ब्लैक मंगल के मरीजों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है, लेकिन इस बीमारी के उपचार में इस्तेमाल होने वाला एंफोटेरेसिन बी इंजेक्शन की शुरुआती दिनों में ही कमी देखने को मिल रही है। जिसके चलते प्रदेश की तकनीकी कमेटी के द्वारा निर्णय लिया गया है कि ब्लैक फंगल के मरीज को मात्र दो ही इंजेक्शन लगाने की अनुमति है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ब्लैक फंगल के मरीज को जो इंजेक्शन लगाया जाता है, वह वजन के हिसाब से लगाया जाता है। जो कि उसको दिन में 4 से 6 इंजेक्शन लगाने होते हैं। लेकिन इंजेक्शन की कमी को देखते हुए प्रदेश की तकनीकी कमेटी के द्वारा निर्णय लिया गया है, कि अब मात्र 2 इंजेक्शन लगाने की अनुमति है ।
कालाबाजारी रोकने के लिए बनाई कमेटी
जैसे महामारी के दौर में ऑक्सीजन की कालाबाजारी हो रही थी। उसको रोकने के लिए प्रशासन के द्वारा कमेटी का गठन किया गया। वहीं ब्लैक फंगल बीमारी में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन की कालाबाजारी को रोकने के लिए प्रदेश स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है।
जो कि मरीज के परफॉर्मा का आकलन करने के बाद यह निर्णय लेगी कि मरीज को इंजेक्शन की जरूरत है कि नहीं। अगर जरूरत है तो कितने इंजेक्शन की जरूरत है यह कमेटी के सिफारिश के बाद ही मरीज को इंजेक्शन उपलब्ध कराए जाएंगे। 31 मई की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि मरीज को दो ही इंजेक्शन लगाने की अनुमति है।