अगर कुछ दिखाने का जुनून हो तो सबकुछ हो सकता है। हौसला उम्र नहीं देखती बस लक्ष्य को निहारती है। एक आम भारतीय नौकरी से रिटायर होने के बाद आराम के मूड में होता है, लेकिन ओडिशा के 64 वर्षीय जयकिशोर प्रधान का जोश और जज्बा युवा-सा है। उन्होंने राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा पास की है। इसके बाद वीर सुरेंद्र साई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च के MBBS कोर्स में दाखिला लिया है।
उनके हौसले के आगे युवा भी पस्त नज़र आये हैं। सभी के लिए यह प्रेरणा बने हैं। जयकिशोर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से डिप्टी मैनेजर पोस्ट से रिटायर हुए हैं। वे कहते हैं, ‘मैंने 1974 में 12वीं के बाद मेडिकल की प्रवेश परीक्षा दी थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। एक और साल गंवाने के बजाय मैंने फिजिक्स में बीएससी किया। एक स्कूल में टीचर के रूप में नियुक्ति हुई। एक साल बाद बैंक की प्रवेश परीक्षा दी और इंडियन बैंक जॉइन किया।
कुछ करने की ललक और कुछ पाने की इच्छा आपको कभी चैन से नहीं रहने देती। उन्हें 1983 में SBI में नौकरी मिली। इस बीच 1982 में उनके पिता बीमार हुए, तो उन्हें बुर्ला सरकारी मेडिकल कॉलेज और वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराना पड़ा। वे स्वस्थ होकर घर लौटे, तो मन में डॉक्टर बनने की इच्छा एक बार फिर जागी। लेकिन, उम्र की सीमा के चलते कुछ नहीं कर पाए।
उनका सपना हमेशा से डॉक्टर बनना रहा है। अपने सपने को अब वह सच कर रहे हैं। जयकिशोर बताते हैं, ‘30 सितंबर 2016 को रिटायर होने के बाद जुड़वां बेटियों जय पूर्वा और ज्योति पूर्वा के जरिए सपना पूरा करने की ठानी। दोनों को डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया और तैयारी भी करवाई। दोनों बेटियों का बीडीएस के लिए सेलेक्शन हो गया।’ 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने 25 साल से ऊपर की उम्र के लोगों को भी नीट में शामिल होने की अनुमति दी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला इनके लिए काफी प्रेरणादायक रहा। इनके सपने फिरसे जीवित हो गए। उन्होंने बताया कि पिछली परीक्षा का अनुभव 2020 की परीक्षा में काम आया।