समय बदलते ज़रा भी वक्त नहीं लगता है। आपको बुरे वक्त में बस कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। IAS मोहम्मद अली शिहाब ने भी अपने लक्ष्य के रास्तें में आनेवाली सभी बाधाओं का डटकर सामना किया और अंततः अपनी मंजिल तक पहुंच ही गए। मोहम्मद अली शिहाब केरल के मालाप्पुरम जिले के एक गांव से ताल्लुक रखते हैं। बहुत कम उम्र में ही शिहाब के पिता अपने पांच बच्चे और पत्नी को छोड़ इस दुनिया से चल बसे।
किसी भी इंसान को सफलता के लिए कड़ी मेहनत के साथ सबकुछ हासिल करने की राह पर निकलना पड़ता है। अली शिहाब भी सफलता के लिए निकले और सफल हुए। घर-परिवार की आर्थिक स्थिती दयनीय होने के कारण शिहाब को अनाथालय भेजना पड़ा। वहां उन्होंने अपनी जिंदगी के 10 वर्ष गुजारे। मोहम्मद शिहाब के लिए एक अनाथालय से IAS के सपने को पुरा करने तक का सफर सरल नहीं था। लेकिन उन्होनें हार नहीं मानी और निरंतर प्रयास करतें रहें।
यूपीएससी की परीक्षा पास करने वाले तमाम कैंडिडेट्स की कहानी काफी प्रेरणादायक होती है। घर की स्थिति बेहद खराब होने की वजह से शिहाब को कुछ ही दिनों में अपनी पढ़ाई-लिखाई बंद करनी पड़ी। सिहाब ने घर को आर्थिक सहायता पहुंचाने में लिए वे कभी पान बेचे तो कभी टोकरी बेची। शिहाब ने अपने करियर की शुरुआत एक प्राइमरी टीचर के तौर पर की।
आपको एकाग्रता के साथ लक्ष्य तक पहुंचना होता है। मंजिल कितनी भी दूर हो कभी हिम्मत नहीं हारना चाहिए क्योंकि पहाड़ों से निकलने वाली नदी कभी किसी से सागर का रास्ता नहीं पुछती। उन्होनें नौकरियों में भी अपनी किस्मत आजमाई और सफल भी रहें। जेल वॉर्डन, चपरासी, क्लर्क, रेलवे टिकट कलेक्टर के साथ अन्य कई पदों पर उनका चयन हुआ। वे केरल वॉटर अथॉरिटी में चपरासी के पद पर और ग्राम पंचायत में क्लर्क पद के लिए चयनित हुए।
आपका हौसला बुलंद होना चाहिए मुकाम तो मिल ही जाता है। इंसान को कभी हार नहीं माननी चाहिए। इसी बात को चरितार्थ करती है इनकी कहानी। कई लोगों को इनसे प्रेरणा मिलती है।