Fast tag यानी कि इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम लोगों की सुविधाओं के लिए एस टेक्नोलॉजी को इंडिया में मैंडेटरी कर दिया गया इसके बारे में यदि हम आपको बताएं तो एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाने के लिए सरकार निर्धारित राशि का टोल कलेक्टर करते हैं जिसकी वजह से अक्सर टोल कलेक्ट करते वक्त लोगों को टोल पर कुछ समय लगता है लेकिन इसी कारण अक्सर टोल पर जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
इसी कड़ी में भारत सरकार द्वारा 15 फरवरी 2021 की आधी रात से हर गाड़ी के लिए फास्ट टैग होना अनिवार्य कर दिया गया । जिसके बाद फास्ट टैग लगवाने के लिए लोगों की भीड़ लग गई। क्योंकि विनाश के टोल से गाड़ी निकालना मुमकिन नहीं था। लेकिन फास्टैग में काम कर रहे कुछ कर्मचारियों की वजह से एक बड़ी लापरवाही देखने को मिल रही है।
फास्टेग बेचने के लिए आते हैं गाड़ियों के आगे
हम बात कर रहे हैं फरीदाबाद के नजदीक बदरपुर बॉर्डर टोल और सराय टोल की जहां पर अक्सर यह देखा जाता है कि फास्ट टैग के कर्मचारी अक्सर जिन गाड़ियों पर फास्ट टैग नहीं लगा होता उन गाड़ियों को जबरदस्ती रोकते हैं जिसकी वजह से ड्राइवर को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और ना जाने यह परेशानी किस देने एक दुर्घटना का रूप ले ले इसलिए इस विषय पर आपका ध्यान डाला जा रहा है ।
लोगों द्वारा कुछ शिकायतों के बाद और जमीनी स्तर पर जांच पड़ताल के लिए हमारे रिपोर्टर्स जब सराय टोल पर पहुंचे तो वहां मौजूद फास्ट टैग के कर्मचारियों ने वीडियो बनाने से रोकने की कोशिश भी की और बदतमीजी भी की लेकिन रिपोर्टर द्वारा कर्तव्य की पालना करते हुए जनता को जागरूक करने के लिए वीडियो बनाई गई और बाहुबलियों से बिना डरे इस वीडियो को आप तक साझा भी किया गया।
हमारा उद्देश्य केवल एक ही है की हाईवे पर इस तरह से फास्ट टैग की बिक्री करने के लिए आम जनता की जान को जोखिम में डालना सरासर गलत है इसलिए फास्ट टैग लगवाने के तरीके को बदला जाए । चंद रुपयों के लालच में किसी की जिंदगी से खिलवाड़ ना हो इसीलिए मौजूदा प्रशासन को इस विषय पर अपना ध्यान डालना चाहिए और ताकि हाईवे पर बेच रहे फास्ट टैग कर्मचारी अपनी करतूतों से बाज आ जाए ।