अनीता ऑटो वाली : इनका संघर्ष आँखे कर देता है नम, ऑटो चलाकर करती हैं गुज़ारा और कुछ नहीं है सहारा

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    ऐसा कई लोग सोचते हैं की ऑटो तो बस पुरुष ही चला सकते हैं, यह महिलाओं के बस की बात नहीं। लेकिन मजबूरी कुछ भी करवा देती है। रानी लक्ष्मीबाई की नगरी में आज भी ऐसी महिलाएं हैं जो कि झांसी का नाम गर्व से ऊंचा किए हैं। वह बधाई के पात्र हैं ऐसी ही एक साहसी महिला तालपुरा निवासी 36 वर्षीय अनीता चौधरी।

    अपने परिवार को अच्छी ज़िंदगी देने के लिए व्यक्ति दिनरात मेहनत करता है। अनीता भी वही कर रही हैं। शादी के बाद अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए काम करने के लिये घर बाहर निकली और उसने समाज की परवाह ना करते हुए ईमानदारी से लगन से भगवंतपुरा स्थित फैक्टरी में 10 वर्ष काम किया।

    अनीता ऑटो वाली : इनका संघर्ष आँखे कर देता है नम, ऑटो चलाकर करती हैं गुज़ारा और कुछ नहीं है सहारा

    अनीता का संघर्ष ऐसा है कि पत्थर दिल भी नरम पड़ जाता है। अनीता ने पाल कॉलोनी में बोरी बनाने वाली फैक्ट्री में भी काम किया सुपरवाइजर से कहासुनी होने पर इस साहसी महिला ने सोचा कि किसी की कहासुनी से अच्छा है कि क्यों ना स्वयं का काम किया जाए और अब किसी की नौकरी ना करके अनिता चौधरी ने झांसी शहर की सड़कों पर टैक्सी चलाने की मन में ठान ली।

    अनीता ऑटो वाली : इनका संघर्ष आँखे कर देता है नम, ऑटो चलाकर करती हैं गुज़ारा और कुछ नहीं है सहारा

    परिवार ही होता है जिसके लिए हम सबकुछ कर सकते हैं। अनीता इसकी मिसाल है। अनीता ने बिना किसी की परवाह ना करती हुई एक सीएनजी टैक्सी फाइनेंस करा कर स्वयं झांसी के महानगर की सड़क पर चलाने का काम शुरू कर दिया। अनीता का कहना है कि वह अब अपने स्वयं के काम से बहुत खुश है और सुबह 5:00 से 9:00 बजे तक शाम को 5:00 से 8:00 बजे तक टैक्सी चलाकर 700 से 800 रुपये कमा कर अपने पति व तीन बच्चों का भरण पोषण करती है।

    अनीता ऑटो वाली : इनका संघर्ष आँखे कर देता है नम, ऑटो चलाकर करती हैं गुज़ारा और कुछ नहीं है सहारा

    समाज की चिंता किये बिना आपको काम करना होता है। कोई क्या सोचेगा यह मायने नहीं रखता है। आपकी मेहनत आपकी है न कि किसी और की। किसी की बातों में आकर आपको मेहनत से दूर नहीं जाना चाहिए।