खोरी गांव में तोड़फोड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद नगर निगम प्रशासन तथा फरीदाबाद प्रशासन के द्वारा भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है वही आज खोरी गांव की महिलाएं पुनर्वास को लेकर सड़क के बीचों-बीच बीच धरने पर बैठ गई।
पुनर्वास की मांग को लेकर खोरी में बैठी हुई महिलाएं महामारी में सरकार से सवाल पूछ रही है की बिना पुनर्वास के सरकार खोरी के परिवारों को बेदखल कर रही है जो कि इस महामारी में सरकार की ओर से खोरी गांव के लोगों को दिया गया मृत्यु दंड है।
स्थानीय निवासी सीता देवी ने बताया कि वह पिछले 15 साल से खोरी गांव में रह रही है। किसी भी प्रकार की सहायता करने वाला सीता के परिवार में कोई नहीं है ऐसे में महामारी में वह खुले आसमान के नीचे ही मर जाएगी जिसकी जिम्मेदार सरकार होगी।
ममता का कहना है कि उसके पति बेलदार का काम करते हैं और पिछले डेढ़ वर्ष से उनके परिवार में किसी भी प्रकार की कोई आमदनी नहीं हुई जिसकी वजह से मांग मांग कर वह अपना गुजारा कर रही है अब सरकार उसके साथ पुनर्वास न देकर अन्याय कर रही है ।
स्थानीय निवासी कल्पना बताती है कि वह पिछले 10 वर्ष से खोरी गांव में अपनी जिंदगी काट रही है । सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद व सरकार की तरफ टकटकी लगाए पुनर्वास की आस में देख रही है कि हरियाणा सरकार उसे इस महामारी और संकट के समय में जरूर राहत देगी । अभी भी उसको पूरी उम्मीद है किंतु सरकार मन है पुनर्वास के मुद्दे पर।
बंधुआ मुक्ति मोर्चा के महासचिव निर्मल गोराना ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने बेदखली के आदेश दिए हैं किंतु सरकार स्लम ड्वेलर्स को उनके पुनर्वास के अधिकार से वंचित कर रही है। सरकार को अपनी भूमिका पूर्ण संवेदनशीलता के साथ अदा करनी चाहिए जो कि उनका दायित्व है किंतु सरकार यदि अपने दायित्व से भागती है तो यहां पर सामाजिक न्याय का सरकार द्वारा ही गला घोटा जा रहा है।
सरकार को एक योजनाबद्ध तरीके से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करनी चाहिए न कि तीव्र आवेश में आकर समाज के अंतिम पायदान पर खड़े इन खोरी गांव निवासियों पर प्रहार कर दिया जाए तो यह अन्याय होगा यदि उन्हें समुचित पुनर्वास न प्रदान किया जाए।
गिरफ्तार किए गए लोगों को किया गया रिहा
खोरी गांव के 15 लोगों को डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत करीब 3 दिन पहले गिरफ्तार किया गया था जिन्हें आज जिला न्यायालय ने जमानत के साथ रिहा कर दिया है।