एक तरफ केंद्र सरकार के कृषि कानून ने किसानों के जीवन को तितर-बितर कर के रख दिया है। वहीं दूसरी तरफ साढ़े 6 महीने बीतने के बाद भी सरकार को किसानों की हालत पर तनिक भी तरस नहीं आ रहा और अंजाम यह है कि किसानों का गुस्सा उफान बनकर बाहर आ रहा है।
इसी का ताजा उदाहरण झज्जर जिले में हुए भाजपा जिले के कार्यक्रम में मौजूद जिला अध्यक्ष ओपी धनखड़ जाने के दौरान किसान द्वारा नींव में रखीं ईंट फेंक कर विरोध प्रदर्शन में देख सकते हैं।
झज्जर में हुई इस घटना के उपरांत हरियाणा के स्वास्थ्य व गृह मंत्री अनिल विज ने बताया कि नींव उखाड़ने के मामले में भाजपा कार्यकर्ताओं ने किसानों के खिलाफ शहर पुलिस थाने में शिकायत दी है। जिस पर पुलिस ने चार-पांच नामजद व 50-60 अन्य किसानों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है। खबर लिखे जाने तक इस संबंध में कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
झज्जर के डीएसपी नरेश कुमार ने बताया कि भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर से दी गई शिकायत पर मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। विज आगे ने कहा कि प्रदेश में ‘महामारी अलर्ट-सुरक्षित हरियाणा’ की व्यवस्था इस बात की ओर इशारा करती है कि कोरोना संक्रमण की चेन अब टूटने लगी है। वहीं कोरोना की दूसरी लहर में अब तक के सबसे कम 463 नए केस मिले हैं।
वहीं दूसरी तरफ अध्यक्ष भाकियू हरियाणा गुरनाम चढूनी का कहना है कि किसी भी तरह से किसानों की बात को सरकार सुनने के लिए तैयार नहीं है। सरकार को चिट्ठी भी लिखी गई, लेकिन उस पर भी कोई जवाब सरकार की तरफ से नहीं दिया गया, जिससे साफ है
इन सब का किसानों पर कहीं कुछ असर होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है वही किसान मन बना चुके हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वार जजपा-भाजपा नेताओं के लिए गांवबंदी का एलान कर दिया है और उनको केवल अपने गांवों के अलावा किसी अन्य गांवों में घुसने नहीं देने की अपील ग्रामीणों से की गई है।
कि सरकार बातचीत करने को लेकर केवल झूठ बोल रही है और इस तरह आराम से यह सरकार मानने वाली नहीं है। इसलिए आंदोलन को तेज करने की जरूरत है और आंदोलन में कई बड़े कदम आगामी दिनों में उठाए जा सकते हैं।
वहीं किसान 26 जून को आंदोलन के सात महीने पूरे होने पर राजभवन पर प्रदर्शन करके राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देंगे। इसके लिए किसी तरह की अनुमति भी किसान नहीं लेंगे।