सीएम खट्टर ने किसानों को दिया दो टूक जवाब, किसी निर्णय पर पहुँचने पहले करो यह काम

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कृषि कानूनों पर चल रही बहस पर अब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दो टूक बात कहते हुए कहा कि कृषि कानूनों को गलत बताने से पहले किसानों को केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि कानून बिल को अपनाना चाहिए, परखना चाहिए तभी किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए कि यह बिल सही है या गलत और इसमें जो भी कमी है, वह सरकार को बताए लेकिन इससे पहले उन्हें इन निर्णयों को आजमाना पड़ेगा।

चंडीगढ़ में मीडिया कर्मियों से बातचीत में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सबसे पहले किसानों को सलाह दी कि वे उन्नतीशील बनें और खेती में नए-नए प्रयोग करें। किसान खेती को व्यापारिक ढंग से लें। उन्नतीशील किसान प्राकृतिक व आर्गेनिक खेती करते हुए सामान्य किसानों से कई गुणा आय हासिल कर रहे हैं। इसलिए आम किसानों को कोई भी नया प्रयोग करते समय हिचकना नहीं चाहिए।

सीएम खट्टर ने किसानों को दिया दो टूक जवाब, किसी निर्णय पर पहुँचने पहले करो यह काम

उन्होने हमारी मंशा किसानों की आय डबल से भी अधिक करने की है। हाल ही में राज्य के उन्नतीशील किसानों की कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें इन किसानों ने बताया कि वह नए-नए प्रयोग और नई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए न केवल अधिक पैदावार हासिल कर रहे हैं, बल्कि उनकी आय भी बढ़ गई है। अधिकतर उन्नतीशील किसान तीन कृषि कानूनों के हक में हैं। यह कानून उन्हें सुरक्षा और बाजार दोनों उपलब्ध कराते हैं, जो किसानों की आय बढ़ाने में सहायक हैं।

मुख्यमंत्री ने विपक्षी राजनीतिक दलों से सवाल किया कि आखिरकार यदि इन कानूनों में वास्तव में कोई खामी होती तो देश के बाकी राज्यों व क्षेत्रों में भी इस तरह का आंदोलन हुआ होता। हरियाणा की ही अगर बात करें तो दक्षिण हरियाणा खासकर महेंद्रगढ़-नारनौल के इलाके में यह आंदोलन नहीं है। क्या वहां के किसान इन कानूनों से प्रभावित नहीं होंगे, लेकिन वह जानते हैं कि कानूनों में किसानों के हित की बात है। वे समझ चुके हैं। इसलिए जहां भी आंदोलन हो रहा है, उसमें पूरी तरह से राजनीतिक विरोध की मंशा छिपी है।

सीएम खट्टर ने किसानों को दिया दो टूक जवाब, किसी निर्णय पर पहुँचने पहले करो यह काम

गौरतलब, इस बात से सभी भली भांति परिचित कि पिछले लगभग साढ़े 6 महीने से किसान कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए टिकरी बॉर्डर पर अपना जत्था जमाए बैठे हुए हैं, और उनका कहना है कि जब तक केंद्र सरकार इनकी बात नहीं मान लेती। वह ऐसा ही डेरा जमाए बैठे रहेंगे। यहां तक वहीं आगामी 26 जून को किसानों के आंदोलन को 7 महीना पूरा होते ही उन्होंने ऐलान कर दिया है कि वह राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपने के लिए राजभवन की ओर कूच करेंगे और इन सब के लिए वाह किसी की अनुमति लेना जरूरी नहीं समझते।