महिलाओं को आज भी समाज बहुत हल्के में लेता हैं। लेकिन महिलाएं एक बार जो ठान लें वह करके ज़रूर दिखाती हैं। एक साधारण महिला अपनी मेहनत और लगन से सहफसली सब्जियों की खेती करके पांच वर्षों में अपने क्षेत्र की एक सफल किसान बन गयी हैं। ये एक साथ कई तरह की सब्जियां उगाती हैं और बाजार पहुंचाकर आज अच्छा मुनाफा कमा रहीं हैं। इनकी सालाना दो लाख रुपए तक की खेती से बचत हो जाती है।
खेती-बाड़ी हो या फिर कोई भी क्षेत्र हर जगह महिलाओं ने अपना पताका फेहराया है। सुनीता देवी के सफल किसान बनने की राह इतनी आसान नहीं थी। इनके घर के हालात ऐसे थे कि इनका परिवार वक़्त जरूरत पड़ने पर अपनी जमीन गिरवी रख देता था। एक समय ऐसा आया जब इनकी पूरी पांच एकड़ जमीन गिरवी रख गयी और इनका पूरा परिवार मजदूरी करने लगा।
महामारी के कारण सभी क्षेत्र प्रभावित हुए हैं लेकिन कृषि क्षेत्र ने अच्छा प्रदर्शन किया है। आर्थिक तंगी को झेलते-झेलते सुनीता देवी ऐसे हालातों में पूरी तरह से टूट चुकी थीं। मजदूरी करके चार बच्चों की परवरिश करना और उन्हें पढ़ाना इनके लिए मुश्किल होता जा रहा था। इन हालातों से उबरने के लिए सुनीता ने अपने जेवर बेचकर और कुछ उधार पैसा लेकर सबसे पहले गिरवी रखी जमीन छुड़वाई।
सुनीता के हौसले इतने मजबूत थे कि उन्होंने कुछ ही सालों में मोटा मुनाफा कमाना शुरू कर दिया। जमीन छूट गयी थी पर इनके पास इतने पैसे नहीं थे जिससे ये खेती कर सकें। इसी दौरान इन्हें सखी मंडल के बारे में पता चला और ये वर्ष 2013 में स्वयं सहायता समूह से जुड़ गईं। सुनीता देवी अपने पक्के घर की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, ये पक्का घर हमने खेती करके बनवाया है। आज हमारे बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। हमने पति को चप्पल-जूता की दुकान खुलवा दी है। एक भाड़ा गाड़ी भी खरीद ली है जिससे सब्जियां बाजार भेजते हैं।
कृषि क्षेत्र में लगातार लोग अपना हाथ आजमा रहे हैं। कई लोगों को इसमें सफलता मिल रही है। युवाओं के बीच खेती – बाड़ी ट्रेंडिंग कारोबार के रूप में चल रहा है।