खोरी बस्ती में चलें पीले पंजे से सैकड़ों का जीवन हुआ तितर बितर, खाने के मोहताज हुए लोग

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फरीदाबाद के अंतर्गत आने वाले खोरी गांव में चलें पीले पंजे के बाद अब लोग खाने और रहने दोनों के लिए मोहताज हो गए हैं। खोरी गांव में किराए पर रह रहे लोग यहां से कमरे खाली करने के लिए मजबूर हो चुके हैं। कुछेक लोगों का कहना है कि जब किराया ही देना है तो डर-डर कर क्यों रहें। पर अब क्वेश्चन यह खड़ा हो गया है कि बचाएं या कमाएं-खाएं। वहीं महिलाएं भी अब प्रशासनिक लड़ाई का मोर्चा संभाल रही है।

वही अपना मकान होने के बावजूद भी हालत किराएदार से भी बदतर हो गई है। लोगों का कहना है कि मकान मालिक होने के बावजूद भी आज अपने बनाए हुए मकान है फिर भी उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं दिख रहा है। शुक्रवार के दृश्य की बात करें तो खोरी गांव की गलियां सूनी सूनी दिखाई दे रही थी। वहीं अब तो गांव में पुरुषों की संख्या देखने को अब नहीं मिलती।

खोरी बस्ती में चलें पीले पंजे से सैकड़ों का जीवन हुआ तितर बितर, खाने के मोहताज हुए लोग

लोगों का कहना है कि एक तो दिन प्रतिदिन ऐसे ही आग का गोला मानों जमीन पर आग के लपटें फेंक रहा है। इधर तेज़ धूप में बच्चों को संभालना अब मुश्किल हो चला है। लोगों की परेशानी को दुगुना करने के लिए गांव में लाइट तक काट दी गई है।

खोरी बस्ती में चलें पीले पंजे से सैकड़ों का जीवन हुआ तितर बितर, खाने के मोहताज हुए लोग

घर में खाने के लिए अनाज नही बचा है। ऐसे में हम अपने घर को बचाएं या बच्चों का पेट भरें। गांव के पुरुष दिहाड़ी मजदूरी पर जाने लगे हैं। रोजाना की छोटी मोटी कमाई ही यह तय करती है कि आज खाना मिलेगा या नहीं।

लोगों का मानना है कि पुलिस जब चाहे उन्हें जेल में डाल देगी। छोटे बच्चों को भी अब बाहर जाने की मनाही है। खोरी गांव में ज्यादातर लोग दूसरे राज्यों के हैं। आर्थिक रूप से कमजोर लोग अब ये तय नही कर पा रहे हैं कि आगे क्या करना चाहिए। रोजमर्रा की चीजों को लाने के लिए भी लोग उन रास्तों से गांव के बाहर जा रहे हैं जहां पुलिस की मौजूदगी नही है।

खोरी बस्ती में चलें पीले पंजे से सैकड़ों का जीवन हुआ तितर बितर, खाने के मोहताज हुए लोग

इसके लिए सबसे सुरक्षित रास्ता वे दिल्ली की तरफ का मान रहे हैं। गांव के लोग हरियाणा पुलिस को देखकर डर रहे हैं जबकि दिल्ली पुलिस से उन्हें कोई भय नही है।