शहर की शानदार नौकरी छोड़कर गांव लौटी, सरपंच बनकर ऐसे गांव को तरक्की के नए मुकाम तक पहुंचाया

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    राजनीति दो शब्दों का एक समूह है राज+नीति। अर्थात् नीति विशेष के द्वारा शासन करना या विशेष उद्देश्य को प्राप्त करना राजनीति कहलाती है। मुंबई में मल्टीनेशनल कंपनी की मोटी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर राजस्थान के टोंक जिले के सोड़ा पंचायत की सरपंच बनी छवि राजावत ने पूरे पंचायत की छवि बदल दी है। देश की पहली एमबीए सरपंच की नीतियों के कारण यह पंचायत विकास के लिए सरकारी पैसे पर निर्भर नहीं है।

    इन्होने इस आज अपने गांव की तस्वीर बदल कर रखती है। जब नाम ही छवि है तो अपनी ‘छवि’ का कमाल तो उसे दिखाना ही था। यहां प्राइवेट सेक्टर से इनवेस्टमेंट कराकर विकास किया जा रहा है। सोढ़ा पंचायत में पानी, बिजली और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं की बात अब पुरानी हो चुकी है। इन समस्याओं को दूर कर अब गांव बैंक, एटीएम, सौर ऊर्जा, वेस्टमैनेजमेंट के अलावा पशुओं के लिए अलग से घास के मैदान तैयार करने जैसे प्रोजेक्ट को पूरा कर रहा है।

    शहर की शानदार नौकरी छोड़कर गांव लौटी, सरपंच बनकर ऐसे गांव को तरक्की के नए मुकाम तक पहुंचाया

    जनता के सामाजिक एवं आर्थिक स्तर को ऊँचा करना राजनीति है। आज के समय में भारत में ऐसी नीति रखने वाले नेता बहुत कम ही मिलते हैं। छवि राजावत का जन्म साल 1980 को राजस्थान के टोंक जिले के सोड़ा गांव में हुआ था। उनकी प्राथमिक शिक्षा ऋषि वैली स्कूल में हुई। लेडी श्रीराम कॉलेज दिल्ली से ग्रेजुएशन किया। सात साल तक दिल्ली और जयपुर में कई कंपनियों में नौकरी की। नौकरी छोड़ी तब एक लाख रुपए महीना वेतन मिलता था। नौकरी छोड़ने का वाकया भी एकदम हुआ।

    शहर की शानदार नौकरी छोड़कर गांव लौटी, सरपंच बनकर ऐसे गांव को तरक्की के नए मुकाम तक पहुंचाया

    आज के समय में यह लोगों के लिए मिसाल बनी हुई हैं। साल 2010 में छवि एमबीए कर मुंबई की मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी कर रही थीं। एकबार छुट्टियों में गांव आईं तो ग्रामीणों ने कहा इसबार सरपंच तुम्हीं बन जाओ। महानगर की जिंदगी जीने वाली और घुड़सवारी जैसे शौक पालने वाली छवि के लिए ये एक मजाक की तरह था, लेकिन जब घरवाले जिद करने लगे तो अनमने ढंग से ही सही, छवि ने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीत गईं। छवि ने गांव की बुरी हालत देख कर कुछ करने की ठान ली।

    Chhavi rajawat- Sarpanch

    उन्होंने वो कर दिखाया जो आज तक इस गांव में कोई नहीं कर पाया था। गांव वाले इनके मुरीद हो गए। सबसे बड़ी और पहली चुनौती पानी की थी। इस समस्या को हल करने के लिए छवि ने वाटर मैनेजमेंट के एक्सपर्ट को गांव में बुलाया। आज सभी को पानी मिल रहा है और गांव में विकास हो रहा है।