लोन दिलाने के नाम दिल्ली-NCR में करोड़ों का फ्रॉड, ऐसे हुआ गिरोह का भंडाफोड़

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नोएडा में बैठकर दिल्ली-एनसीआर के लोगों को लोन दिलाने के नाम पर ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़ कर साइबर थाने की पुलिस ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन्हें गाजियाबाद और दिल्ली से पकड़ा गया है।

पूछताछ के बाद ठगी के 30 मामलों का खुलासा हुआ है। इनके 2 बैंक खातों में 1 करोड़ 18 लाख रुपये का लेन-देन पकड़ा गया है। फरीदाबाद की महिला से भी इस गिरोह ने 1 लाख 80 हजार ठगे थे, जिनमें से 1.30 लाख रुपये बरामद कर लिए गए हैं। साथ ही मोबाइल और सिम भी बरामद किया गया है। इस मामले में आरोपियों को फर्जी बैंक खाते और डेटा मुहैय्या कराने वाला आरोपी अभी फरार चल रहा है।

लोन दिलाने के नाम दिल्ली-NCR में करोड़ों का फ्रॉड, ऐसे हुआ गिरोह का भंडाफोड़

साइबर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर बसंत कुमार ने बताया कि त्रिखा कॉलोनी में रहने वाली महेंद्री ने 13 जुलाई को शिकायत दी कि उनके पास बैंक कर्मचारी बन आरोपियों ने फोन किया और झांसा देकर उसके खाते से 1 लाख 79 हजार 999 रुपये निकाल लिए।

मामला पुलिस कमिश्नर ओपी सिंह के संज्ञान में आने पर एसीपी क्राइम अनिल यादव के नेतृत्व में प्रभारी साइबर अपराध थाना इंस्पेक्टर बसंत कुमार सहित एएसआई नरेंद्र कुमार, एएसआई सत्यवीर, एएसआई नीरज, महिला मुख्य सिपाही अंजू, सिपाही बिजेंदर, धर्मेंद्र, अंशुल कुमार, संदीप और आजाद की एक टीम गठित की गई। इसके बाद इस टीम ने आरोपियों को दबोचा है।

बेटी की शादी का कर्ज चुकाने के लिए लेना था

लोन दिलाने के नाम दिल्ली-NCR में करोड़ों का फ्रॉड, ऐसे हुआ गिरोह का भंडाफोड़

बेटी की शादी का कर्ज चुकाने के लिए लेना था लोन
पीड़िता दूध की डेरी से घर चलाती हैं। उन्होंने दो बेटियों की शादी बीते साल की थी। इसके चलते उनपर काफी कर्जा चढ़ गया था। ऐसे में आरोपियों ने उन्हें लोन देने के लिए कॉल किया। लोन देने के बहाने आरोपियों ने उनके खाते में मौजूद 1.7999 लाख रुपये कागजी कार्रवाई के नाम पर ठग लिए।

आरोपियों ने पीड़िता को झांसा दिया कि वे उसे 13 लाख का लोन बजाज फाइनेंस कंपनी से दिलाएंगे। पैसे ठगने के बाद आरोपियों ने महिला का कॉल उठाना बंद कर दिया। इस पर पीड़िता को शक होने पर उन्होंने 13 जुलाई को साइबर थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी।

आरोपियों से 1.30 लाख बरामद

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आरोपियों से 1.30 लाख बरामद पुलिस ने आरोपी रौशन विश्वकर्मा निवासी विजय नगर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश और सोनू निवासी संगम विहार दिल्ली को गिरफ्तार किया है। आरोपियों से 4 दिन के रिमांड के दौरान पूछताछ में पता चला कि बैंक कर्मचारी बन लोन दिलाने के नाम पर उन्होंने 30 से ज्यादा वारदात को एनसीआर में अंजाम दिया है।

लोगों के फोन नंबर और धोखाधड़ी के पैसे खाते में डालने के लिए अकाउंट उपलब्ध कराने वाले उनके एक साथी का भी पता चला है। साइबर अपराध थाना की पुलिस टीम उसे गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी कर रही है। दोनों आरोपियों का रिमांड पूरा होने पर सोमवार को उन्हें अदालत में पेशकर जेल दिया है।

लोन दिलाने के नाम दिल्ली-NCR में करोड़ों का फ्रॉड, ऐसे हुआ गिरोह का भंडाफोड़

फ्रेशर्स लड़कियों को रखते थे नौकरी पर
बैंककर्मी बनकर लोन दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले दोनों आरोपी 12वीं पास हैं। पुलिस के मुताबिक दोनों पहले एक नामी फाइनेंस कंपनी में काम करते थे। दोनों की वहीं दोस्ती हुई और 1 साल पहले दोनों ने नोएडा में एक कॉल सेंटर शुरू किया।

यहां पर वे फ्रेशर लड़कियों को कॉलिंग के लिए रखते थे। इसके साथ ही 15 से 20 दिन में इन लड़कियों को नौकरी से निकाल देते थे। आरोपी लोन के लिए जरूरतमंद लोगों का डेटा खरीदकर उन्हें निशाना बनाते थे। इसके साथ ही वे फर्जी बैंक खातों में ठगी के पैसे रखते थे।

30 से अधिक लोगों से की ठगी

लोन दिलाने के नाम दिल्ली-NCR में करोड़ों का फ्रॉड, ऐसे हुआ गिरोह का भंडाफोड़

30 से अधिक लोगों से की ठगी
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि अबतक उन्होंने 30 से अधिक लोगों को ठगी का शिकार बनाया है इसमें दिल्ली-एनसीआर समेत, हरियाणा, यूपी व राजस्थान के भी लोग शामिल हैं। पुलिस को आरोपियों के दो खातों का ब्यौरा मिला है।

जिनमें अबतक ठगी के 1.18 करोड़ रुपये आकर निकाल भी चुके हैं। साइबर थाना फरीदाबाद प्रभारी ने बताया कि इन आरोपियों का ब्यौरा आसपास के सभी थानों, जिलों और राज्यों को भेज दिया गया है।

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12वीं पास दोनों आरोपी चला रहे थे कॉल सेंटर
पुलिस पूछताछ में सामने आया कि आरोपी रौशन और सोनू दोनों 12वीं पास हैं। यह दोनों पहले फाइनेंस कंपनी में लोगों को लोन बेचने का काम करते थे।

वहीं इन्होंने अपना कॉल सेंटर खोलने की प्लानिंग की। फिर लोन के लिए जरूरतमंद लोगों का डेटा जुटाना शुरू किया और ठगी के इस खेल का कॉल सेंटर नोएडा सेक्टर-63 में बना लिया। आरोपियों ने यहां 5 से 6 लड़कियों को काम पर कॉलिंग के लिए रखा था, जो कस्टमर से बात करती थीं और अगर कोई लोन लेने के लिए सहमति जताता था, तो उसकी कॉल इन आरोपियों को ट्रांसफर कर देती थीं।