बुधवार को गुजरात के वन विभाग ने यह ऐलान किया है कि एशियाटिक शेरो की जनसंख्या प्रदेश मे 674 हो चुकी है जो 5 वर्ष पहले केवल 523 थी। पछले कुछ वर्षों की भांति इस बार इस गिनती का अनुमान जनगणना से नही लगाया गया है ,पर इस बार जनसंख्या “अवलोकन” से गिनती की गई है।
इस वर्ष सिंह जनगणना क्यों नही हुई ? सिंह जनगणना हर 5 वर्षो मे एक बार होती हैं और इस वर्ष 5-6 जून को होनी थी पर 24 मार्च को लॉकडौन की घोषणा होने के बाद यह प्रक्रिया स्थगित कर दी गयी थी। लॉकडौन को लागू करवाने के लिए 1500 से ज़्यादा वन विभाग अधिकारी, फारेस्ट रेंजर्स और अन्य वन सहायक को पुलिस ड्यूटी के लिए भेज दिया गया था जिसके कारण जनसंख्या सर्वेक्षण संभव नही हो पाया।
आमतौर पर वन विभाग अधिकारी अन्य वाइल्डलाइफ संघठनो, इनजीओ आदि को जनगणना के लिए आमंत्रण देते है ताकि पूरी प्रक्रिया मे पारदर्शिता बने। पर इस वर्ष वन मंत्री गणपत वसावा ने 3 जून को अपने वक्तव्य मे यह कहा था कि “जंगल के अंदर इतने लोगो को भेजना उचित नही था क्योंकि न्यूयॉर्क मे ब्रोंक्स चिड़ियाघर मे भी एक मानव ने एक बाघिन को कोरोना वायरस से संक्रमित कर दिया था।
गिनती का अनुमान कैसे लगाया ?
इस बार सम्पूर्ण जनगणना एक अलग प्रक्रिया से की है जिसका नाम “पूनम अवलोकन” है। यह एक घरेलू क्रिया है जिसे महीने मे एक बार पुर्णिमा के दिन किया जाता है। फील्ड स्टाफ और अवसरो ने अपने-अपने क्षेत्रों से शेरो की गिनती के आकलन मे 24 घंटे का समय लगाया। इस बार पूरी प्रक्रिया की अवधि शुक्रवार साय: 2 बजे से लेकर शनिवार साय: 2 बजे तक थी। इसमे 10 डिस्ट्रिक्स का आकलन किया गया है जहाँ सिंह की मूवमेंट पिछले कई वर्षों से देखी गयी है। यह तरीका वन विभाग ने 2014 मे 2015 की जनगणना के लिए तैयार किया था।
यह प्रक्रिया अन्य प्रक्रिया से अलग कैसे है?
सामान्य सिंह जनगणना मे ज़्यादा लोगो की आवश्यकता होती है जिस से पुरी प्रक्रिया की पारदर्शिता बढ़ती है। 2015 की सिंह जनगणना मे तकरीबन 2,000 अवसर, विशेषज्ञ और कई स्वयंसेवक शामिल थे। पूरा प्रोसेस 2 दिन से ज़्यादा समय लेता है जिसमे एक प्रारंभिक और अंतिम जनगणना होती है। यह ब्लॉक गिनती से किया जाता है जिसमे जनगणना अधिकारी जलाशयों पर तैनात रहते है और वही से शेरो के प्रत्यक्ष दर्शन के आधार पर , उस ब्लॉक मे शेरो की भरमार का अनुमान लगाते है।
एशियाटिक लायन या एशियाटिक सिंह दुनिया के चंद प्रकार के शेरो मे से एक है। यह प्रजाति गुजरात के गिर नेशनल पार्क मे पाई जाती है और पूरे महाद्वीप मे सिर्फ यही शेष है। यह प्रजाति आयुसीइन की रेड लिस्ट(जिन जानवरो की जनसंख्या खतरे मे है उनकी एक सूची) मे है।
Written by- हर्ष दत्त