छात्रों ने परीक्षा को लेकर हरियाणा सरकार के खिलाफ उठाई आवाज, कहां अगर जबरदस्ती…

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वर्तमान में पूरा देश कोरोना रूपी वैश्विक महमारी से जूझ रहा है जिसका खासा प्रभाव हरियाणा प्रदेश में भी देखने को मिल रहा है और इसी के चलते अभी तक हरियाणा प्रदेश में  6000 से ज्यादा कोरोना के पॉजिटिव मामले सामने आ चुके है और ये आंकड़े रोजाना सैकड़ों नए मरीजों के साथ तेजी से बढ़ रहे है।

इस महामारी के बीच कॉलेज छात्रों की परीक्षाएं सरकार के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है। सामान्य दिनों में प्रत्येक वर्ष अप्रैल से मई महा के बीच छात्रों कि परीक्षाएं आयोजित की जाती थी। लेकिन इस वर्ष महामारी के चलते अभी तक भी पूरे देश भर में सभी बड़े शिक्षण संस्थान छात्रों की परीक्षाओं का आयोजन नहीं करा पाए है।

छात्रों ने परीक्षा को लेकर हरियाणा सरकार के खिलाफ उठाई आवाज, कहां अगर जबरदस्ती…

ऐसे में हरियाणा सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के कॉलेज छात्रों को बिना परीक्षाओं के औसत अंक देकर अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जायेगा। लेकिन अंतिम वर्ष के सभी छात्रों की परीक्षाएं जुलाई माह में आयोजित काराई जाएगी।

हरियाणा में बढ़ रहे कोरोना के प्रकोप के चलते राज्य सरकार द्वारा इस प्रकार का निर्णय लेना कही न कही छात्रों कि जान के साथ खिलवाड़ करना साबित हो सकता है। क्यूंकि वर्तमान में महामारी अपने चरम स्तर पर है और जुलाई माह तक इसका प्रकोप कई गुना बढ़ जाएगा।

छात्रों ने परीक्षा को लेकर हरियाणा सरकार के खिलाफ उठाई आवाज, कहां अगर जबरदस्ती…

ऐसे में फाइनल ईयर के छात्र राज्य सरकार के इस फैसले की खिलाफत करते हुए नजर आ रहे है। छात्रों का कहना है कि जिस प्रकार प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छात्रों का जीवन कीमती है उसी प्रकार फाइनल ईयर के छात्रों का जीवन भी उतना ही कीमती है।

यदि ऐसे में कोई छात्र कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है और वह अस्पताल में भर्ती हुआ तो वह परीक्षा केंद्र तक कैसे पहुंच पाएगा। वही सवाल यह भी उठता है कि जब दिल्ली युनिर्सिटी जैसे बड़े शिक्षण संस्थान पीजी एवं अन्य यूजी के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए ओपन बुक ऑनलाइन एग्जाम कंडक्ट करा रहा है तो हरियाणा सरकार इस प्रक्रिया को क्यों नहीं अपना सकती।

छात्रों ने परीक्षा को लेकर हरियाणा सरकार के खिलाफ उठाई आवाज, कहां अगर जबरदस्ती…

इसी विषय को लेकर एनएसयूआई के प्रदेश सचिव कृष्ण अत्री ने फाइनल ईयर के छात्रों को इस जनरल प्रोमोशन से वंचित रखने पर खट्टर सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है की फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा लेना उनकी जान के साथ खिलवाड़ करना है।

जिस तरह से प्रथम, द्वितीय वर्ष के छात्रों का जीवन कीमती है उसी तरह फाइनल ईयर के छात्रों का जीवन भी कीमती है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों की भांति तीसरे वर्ष के छात्रों को भी बिना परीक्षा लिए अन्य किसी माध्यम से प्रोमोट करने का काम करे नहीं तो एनएसयूआई छात्रों के हक के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेगी।

छात्रों ने परीक्षा को लेकर हरियाणा सरकार के खिलाफ उठाई आवाज, कहां अगर जबरदस्ती…
कृष्ण अत्री

कुल मिलाकर कहा जाए तो छात्रों के अनुसार उन्हें भी महामारी की इस गंभीर स्थिति के कारण संक्रमित होने का का डर बना हुआ है और प्रशासन जबरदस्ती छात्रों की जान को जोखिम में डालकर परीक्षाएं आयोजित करना चाह रहा है। छात्र प्रशासन के इस रवैए के बिल्कुल खिलाफ है और इस स्थिति में बिल्कुल भी परीक्षाएं देने को तैयार नहीं है।