भारत और नेपाल के बीच नक्शे को लेकर विवाद चल रहा है। वोटिंग के दौरान संसद में विपक्षी नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी- नेपाल ने संविधान की तीसरी अनुसूची में संशोधन से संबंधित सरकार के विधेयक का समर्थन किया है। भारत के साथ सीमा गतिरोध के बीच इस नए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल ने अपने क्षेत्र में दिखाया गया है।
नेपाल ने जिस दिन अपने नए नक्शे को संसद से मंजूरी दी, सदन की अध्यक्ष अग्नि सापकोटा ने घोषणा की, ‘संशोधन प्रस्ताव दो तिहाई से ज्यादा बहुमत से पारित हो गया है।
देश के 275 सदस्यों वाले निचले सदन में विधेयक को पारित करने के लिये दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। निचले सदन से पारित होने के बाद सरकार के लिए प्रक्रिया तेज कर नेपाल के राष्ट्रीय प्रतीक में नक्शे को बदलने का रास्ता और साफ हो गया है।
शनिवार को दोपहर बाद जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों ने विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लिया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई 2020 को उत्तराखंड में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर चीन की सीमा से लगी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी इस सड़क का उद्घाटन किया था। नेपाल ने सड़क के उद्घाटन पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि ‘एकतरफा कार्रवाई’ सीमा से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए दोनों देशों के बीच बनी सहमति के खिलाफ है।
भारत द्वारा लिपुलेख-धारचुला मार्ग तैयार किए जाने पर नेपाल द्वारा आपत्ति किए जाने के सवाल पर सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा था कि पड़ोसी देश की प्रतिक्रिया हैरान करने वाली थी।
सेना प्रमुख ने कहा, ‘काली नदी के पूरब की तरफ का हिस्सा उनका है। हमने जो सड़क बनाई है वह नदी के पश्चिमी तरफ है। इसमें कोई विवाद नहीं होना चाहिए ।
मुझे नहीं पता कि वे किस चीज के लिए विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा, पूर्व में कभी कोई समस्या नहीं हुई है। यह मानने के कारण हैं कि उन्होंने किसी दूसरे के कहने पर यह मामला उठाया है और इसकी काफी संभावना है।’
भारत और नेपाल के बिच एक और मुद्दा उठ कर सामने आया है # BoycottPatanjali ट्विटर पर आजकल वायरल होते दिख रहा है। आपको बता दे की पतंजलि आयुर्वेद के सी.ई.ओ आचार्य बालकृष्ण नेपाल के रहेंने वाले है। नेपाल जनता का कहना है की पतंजलि के सामान नेपाल में ज्यादा बिकते है और उससे पतंजलि के सी.ई.ओ आचार्य बालकृष्ण को 98 फीसदी फायदा होता है और पतंजलि की कंपनी का मुनाफा भी ज्यादा होता है।
इसलिए नेपाल की जनता ने # BoycottPatanjali ट्विटर पर वायरल कर दिया है। और उनका कहना है की बाबारामदेव बौध्दिक आतकंवाद फैला रहे है। हाल ही में बाबारामदेव ने अपने इंटरव्यू में कहा था की जो लोग बाबा आंबेडकर को मानते है वो बौध्दिक आतकंवाद का समर्थन करते है। इसी बिच बाबारामदेव ने अपनी सफाई में कहा की
“उनका कहने का मतलब कुछ और था, उनको बदनाम किया जा रहा है”
नेपाल ने पिछले महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था। भारत यह कहता रहा है कि यह तीन (लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा) इलाके उसके हैं।
काठमांडू द्वारा नया नक्शा जारी करने पर भारत ने नेपाल से कड़े शब्दों में कहा था कि वह क्षेत्रीय दावों को ‘कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर’ पेश करने का प्रयास न करे।
नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने इस महीने के शुरू में कहा था कि उनकी सरकार कालापानी मुद्दे का समाधान ऐतिहासिक तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर कूटनीतक प्रयासों और बातचीत के जरिये चाहती है।
Written by- Prashant K Sonni
भगवान आस्था है, मां पूजा है, मां वंदनीय हैं, मां आत्मीय है, इसका संबंध सिद्ध…
एनआईटी विधानसभा-86 के विधायक नीरज शर्मा ने बताया कि फरीदाबाद लोकसभा सीट से पूर्व मंत्री…
लोक सभा निर्वाचन अधिकारी विक्रम सिंह ने कहा कि सही प्रशिक्षण लेने के उपरांत कार्य…
मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसके लिए मैं कुछ भी कर…
एक शिक्षक के रूप में होने और MRIS 14( मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 14)…
श्री महारानी वैष्णव देवी मंदिर संस्थान द्वारा महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस के उपलक्ष्य में…