अजित डोभाल को जब पाकिस्तान में मौलवी ने पहचान लिया तब इस प्रकार से छूटे थे, यकीन नहीं होगा आपको

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    अजित डोभाल ने भारत के लिए जो कुछ किया है शायद ही कोई दूसरा व्यक्ति यह कर सकेगा। अजीत डोभाल वो नाम है जो आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। मौजूदा समय में अगर किसी को भारत का जेम्स बांड कहा जाए तो इसमें सबसे ऊपर अजीत डोभाल का ही नाम होगा। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बारे में कम ही लोग जानते होंगे कि वह पाकिस्तान में अंडर कवर एजेंट रह चुके हैं।

    पड़ोसी दुश्मन देश पाकिस्तान में सालों तक रहे अंडरकवर एजेंट अजित डोभाल ने देश के लिए बहुत कुछ किया है। उन्होंने एक इंटेलिजेंस से रिटायर होने के बाद एक समारोह में किस्सा सुनाया था जासूसी के दौरान उन्हें लगभग पहचान लिया गया था। किसी तरह वह बचकर निकले। अजित डोभाल ने पाकिस्तान में सात साल तक जासूसी की। उन्हें ही सर्जिकल स्ट्राइक का मास्टर माइंड माना जाता है।

    अजित डोभाल को जब पाकिस्तान में मौलवी ने पहचान लिया तब इस प्रकार से छूटे थे, यकीन नहीं होगा आपको

    डोभाल ने अजमेर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई के बाद आगरा यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। अजित डोभाल जब पाकिस्तान में जासूसी कर रहे थे तब एक बार उन्हें लगभग पहचान लिया गया था। उन्होंने खुद इस किस्से का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान में उन्हें एक शख्स ने कान के छिदे होने पर हिंदू की तरह पहचान लिया था। डोभाल के मुताबिक, वो शख्स उन्हें अलग से एक कमरे में ले जाकर सवाल कर रहा था।

    अजित डोभाल को जब पाकिस्तान में मौलवी ने पहचान लिया तब इस प्रकार से छूटे थे, यकीन नहीं होगा आपको

    डोभाल को भारत का जेम्स बॉन्ड कहा जाता है। अजीत डोभाल ने आगे बताया कि पड़ताल कर रहे शख्स ने उन्हें बताया कि वो भी एक हिंदू ही है। साथ ही साथ उसने भारतीय खुफिया तंत्र के इस बेहद ताकतवर शख्स को कई सलाहें भी दे डालीं थीं, जैसे सर्जरी करवाकर कान के छेद बंद करवाना। अजित डोभाल देश के इकलौते ऐसे पुलिस अधिकारी हैं जिन्हें कीर्ति चक्र से नवाजा गया है। आम तौर पर यह पुरस्कार सेना के अधिकारी को ही दिया जाता है लेकिन अजित डोभाल के कई ऐसे कारनामे हैं जो उनके अलावा कोई और नहीं कर सकता था।

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    उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी देश को समर्पित की है। 1989 में अजित डोभाल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालने के लिए ऑपरेशन ब्लैक थंडर का नेतृत्व किया था। तब भी वे एक रिक्शावाला बनकर ये काम करते रहे और किसी को कानोंकान भनक दिए बगैर स्वर्ण मंदिर से नक्शे, हथियारों और लड़ाकों की सारी जानकारियां लेकर बाहर भी चले आए थे। वहीं पाकिस्तान में जासूसी से पहले उन्होंने जूते बनाने का काम भी सीखा जिससे खुफिया काम के दौरान किसी को शक न हो।