आम आदमी की वेशभूषा में जब कमिश्नर ने किया बस का सफर, हुए 13 कंडक्टर सस्पेंड और 14 ड्राइवर की लगी वाट

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 आम आदमी की वेशभूषा में जब कमिश्नर ने किया बस का सफर, हुए 13 कंडक्टर सस्पेंड और 14 ड्राइवर की लगी वाट

कहते हैं जब तक खुद पर नहीं बीत जाती, तब तक वास्तविकता समझ नहीं आती। हमारे कथन का तात्पर्य है कि जब तक कोई समस्या अपने ऊपर नहीं बीत जाए तो उसकी वास्तविकता और गहराई तब तक समझ में नहीं आती। यदि हमें किसी का दर्द और दुख समझना है

तो हमें उसकी जगह या उसकी पीड़ा को भोगना पड़ेगा तभी हम उक्त व्यक्ति की असल भावनाएं समझ पाएंगेएम कुछ ऐसा ही एक परीक्षण करने हेतु जब कानपुर की सड़कों पर सरप्राइज चेकिंग पर निकले अधिकारियों ने आम जन की तरह और आम जनता के बीच में जाकर उनकी समस्या जानी तब वास्तविकता का परिचय हुआ।

आम आदमी की वेशभूषा में जब कमिश्नर ने किया बस का सफर, हुए 13 कंडक्टर सस्पेंड और 14 ड्राइवर की लगी वाट

दरअसल, कानपुर की सड़कों पर जब कमिश्नर राज शेखर एक सरप्राइज चेकिंग पर निकले तो उन्होंने कुछ बसों में आम लोगों संग यात्रा करते हुए परिस्थिति को समझने का प्रयास किया। दरअसल, उन्होंने कानपुर कमिश्नर ने पहले छह अधिकारियों की एक टीम बनाई और उन्हें भी अलग-अलग बसों में सफर करने के लिए भेज दिया था।

इसके बाद खुद कमिश्नर ने भी दो बसों में आम नागरिक करने के लिए उन्होंने हर्ष नगर से चुन्नीगंज और रावतपुर से हर्ष नगर वाली बस में यात्रा की। इस सफर के दौरान कानुपर कमिश्नर ने पाया कि बस में कंडक्टर और ड्राइवर फेस पर मास्क का कोई नामोनिशान तक नहीं था।

इसके अलावा बस में यात्री करने वाले सवारियों ने भी संक्रमण के नियमों की धज्जियां उड़ा रखी थी और ना ही फेस मास्क लगा रखा था। इसके अलावा उन्होंने यह भी भी पाया गया कि बस में कही भी फर्स्ट एड बॉक्स नहीं था. बस का एलईडी डिस्प्ले भी खराब पड़ा था और बसों का सामान्य रखरखाव भी खराब स्थिति में दर्ज किया।

इसके अलावा जिन छह अधिकारियों ने भी अलग-अलग बस में यात्रा की थी, उनकी तरफ से भी अपनी रिपोर्ट सौंप दी गई है. उस रिपोर्ट के मुताबिक कई ड्राइवर और कंडक्टर अपनी असल यूनिफॉर्म नहीं पहन रहे थे. कई यात्री भी बिना मास्क के दिखाई पड़े थे. किसी कंडक्टर ने भी यात्रियों को नहीं रोका।

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अब इस रिपोर्ट के सामने आते ही कानपुर कमिश्नर ने एक्शन भी ले लिया है। कानपुर कमिश्नर ने तुरंत 13 कंडक्टरों को सस्पेंड कर दिया गया है। आरोप है कि उन्होंने ना मास्क पहन रखा था और ना ही उनके पास उनकी असल यूनिफॉर्म थी। 14 ड्राइवरों को भी उनके पद से हटा दिया गया। इन सबके अलावा उन अधिकारियों के खिलाफ जांच के भी आदेश दे दिए गए हैं जिनके ऊपर बसों के रखरखाव की जिम्मेदारी थी। जानकारी ये भी मिली है कि कमिश्नर की ओर से एक प्राइवेट एजेंसी और एआरएम को भी शो कॉज नोटिस जारी कर दिया गया है।

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इस सख्त कार्रवाई के अलावा कानपुर कमिश्नर ने 9 सितंबर को सिटी बस कॉर्परेशन की एक बैठक बुलाई है। उक्त बैठक में आगे के एक्शन प्लान पर विस्तार से चर्चा होनी है. कैसे यात्रियों को बेहतर सुविधा दी जा सके, कैसे बसों को रखरखाव ठीक से किया जा सके, हर मुद्दे पर सुझाव लिए जाएंगे। कहीं ना कहीं इस तरह की सरप्राइस चेकिंग जहां इस तरह की लापरवाहीयों पर नकेल कसने में सहायक होते तो वहीं दूसरी तरफ आम जनता के मन में भी सरकार और प्रशासन के प्रति भरोसा जगने लगता है।