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ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा बनेंगे केबीसी का हिस्सा, अभिनेता अमिताभ संग खोलेंगे ज्ञान का भंडार

ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीत कर न सिर्फ अपने माता पिता या फिर हरियाणा बल्कि यूं कहें कि देश का नाम विश्व भर में रोशन करने वाले गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा इन दिनों सोशल मीडिया पर अपना कब्जा किए हुए हैं, हर तरफ उनकी प्रशंसा की झड़ियां लगी देखी जा सकती है हर कोई उनकी तीरंदाजी की प्रशंसा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है।

यहां तक कि कई लोग तो नीरज चोपड़ा की बायोपिक बनाने का भी सुझाव दे रहे हैं, और इस बायोपिक में किसी अभिनेता को उनकी बायोग्राफी आधारित फिल्म में ना लेकर स्वयं नीरज चोपड़ा द्वारा यह रोल अदा करने की सलाह भी दे रहे।

हर कोई उनसे जुड़ें सवालों के प्रश्न और उनकी जीवनी के बारे में जानने को आतुर है। देखते ही देखते गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा के सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स की मानों जैसे बारिश होने लगी हैं, और उनको हर कोई अपना आइडल मानने लगा है।

इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चित होने वाली उनकी बात यह है कि अब वह कौन बनेगा करोड़पति यानी की केबीसी के 13 सीजन में पहुंचने वाले हैं। जिसे लेकर हर कोई उत्सुक है कि केबीसी में उनकी एक खास छलक आखिर क्या रंग लाएगी।

दरअसल, शो का प्रोमो वीडियो सोनी ने अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया है। नीरज के आगमन से अमिताभ बेहद खुश दिखाई दिए। साथ ही हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे। नीरज के साथ हाकी खिलाड़ी पीआर श्रीजेश भी हों

गे। 17 सितंबर, रात नौ बजे शो का प्रसारण होगा।
नीरज चोपड़ा के वीडियो को शेयर कर लिखा कि अपने देश का नाम रोशन करके केबीसी 13 के मंच पर आने वाले हैं। टोक्यो ओलिंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट नीरज और श्रीजेश से सुनिए उनके संघर्ष की कहानी। अमिताभ बच्चन गर्मजोशी से दोनों का स्वागत करते हैं।

शो के प्रोमो में दिखाया गया है कि नीरज चोपड़ा हाट सीट पर ही अमिताभ बच्चन को हरियाणवी बोलना सिखाते हैं। अमिताभ का ही डायलाग नीरज बोलते हैं, ये तेरे बाप का घर कोणी, थाना है। चुपचाप खड़या रै। अमिताभ बच्चन इस डायलाग को रिपीट करते हैं।
दोनों खिलाड़ियों से अमिताभ पूछते हैं कि क्या ये मेडल छू सकता हूं। इसके बाद दोनों उन्हें अपना मेडल सौंपते हैं।

इस दौरान बिग बी भावुक हो जाते हैं। श्रीजेश कहते हैं, पहले हमारा मजाक बनाया जाता था। एक ओलिंपिक में एक भी मैच नहीं जीते। तब लौटे तो लोगों ने तंज कसे। किसी कार्यक्रम में जाते तो पीछे कोने में बैठा दिया जाता। हमें लगता कि हाकी क्यों खेल रहे हैं। टोक्यो ओलिंपिक में तय किया कि ये सोचकर खेलेंगे कि ये हमारा आखिरी मुकाबला है। अगला मैच है ही नहीं। अब लगता है कि मेहनत रंग लाई है।

Avinash Kumar Singh

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