रोज अपने कन्धों पर 25 लीटर दूध लेकर पूरे गावं में बांटता है ये कुत्ता , पूरी कहानी सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे

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कुत्ता एक ऐसा जीव है जिसे दुनिया में सबसे वफादार होने का दर्जा प्राप्त हैं। कुत्ते और इंसान के बीच एक खास प्रकार के संबंध होते हैं। इस जीव में अपने मालिक के प्रति सेवा और समपर्ण का भाव बहुत ज्यादा देखने को मिलता हैं।

अपने मालिक के कहने पर और उनके लिए कुछ भी करने के लिए यह हमेशा तैयार रहते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही कुत्ते की कहानी बताने जा रहे हैं जो सिर्फ अपने मालिक के लिए वफादार ही नहीं बल्कि उनके काम काज को भी देखता हैं।

रोज अपने कन्धों पर 25 लीटर दूध लेकर पूरे गावं में बांटता है ये कुत्ता , पूरी कहानी सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे

हम बात कर रहें हैं तमिलनाडु के एक गांव में रहने वाले ठेन्गावाली का जिनके कुत्ते “मणि” ने उनका कार्यभार संभाला हुआ हैं। ठेन्गावाली को यह कुत्ता उन्हें घायल अवस्था में मिला था, उसके बाद वह इसे अपने घर ले आए थे और इसकी बहुत सेवा की और इसका इलाज कराया।

“मणि” जब ठीक हो गया तो वह हमेशा के लिए ठेन्गावाल के पास ही रह गया। ठेन्गावाली का दूध बेचने का बिज़नेस हैं, तो अपने मालिक को मदद करने के लिए मणि खुद अपने कन्धों पर 25 लीटर दूध लेकर उसे पूरे गावं में बांटता है। ठेन्गावाली के पास पांच गाय है और गावं में दूध बेचकर अपना घर चलाता है।

रोज अपने कन्धों पर 25 लीटर दूध लेकर पूरे गावं में बांटता है ये कुत्ता , पूरी कहानी सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे

ठेन्गावाली जब भी दूध देने गावन वालों के घर जाता तो मणि भी उसके साथ जाता था। इसकी वजह से मणि को दूध बचने जाने से लेकर घर वापस आने तक कि सारी जानकारी मिल गयी थी। एक दिन ठेन्गावाली ने सोचा क्यों न मणि को दूध बेचने के लिए भेजा जाए, जिससे उसका समय भी बचेगा और वह दूसरा कोई काम भी कर पाएगा। 

जिसके बाद ठेन्गावाली ने मणि के लिए एक लकड़ी का  पुलोवर बनाया और उसे मणि के कन्धों से बाँध कर उसपर 25 लीटर दूध रखकर उसे पूरे निर्देश के साथ गावं की तरफ भेज देते हैं। इस कुत्ते के ऐसे घर घर जाकर दूध देने से लोग इसको बहुत लगाव हो गया हैं। यह जहा भी दूध देने के लिए जाता हैं वहा लोग इसे दूध और बिस्कुट जरूर देते हैं।

रोज अपने कन्धों पर 25 लीटर दूध लेकर पूरे गावं में बांटता है ये कुत्ता , पूरी कहानी सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे

गावं के बच्चे भी मणि से काफी प्यार करने लग गए थे और उन्होनें मणि के साथ खाली समय में खेलना भी शुरू कर दिया। ठेन्गावाली का कहना है की पहले वो और उसकी बेटी गावं में दूध देने जाते थे लेकिन मणि के आने के बाद उनका काम काफी आसान हो गया है।