हरियाणा में पेट्रोल फिर से होगा 70 रुपए लीटर, GST में लाए हरियाणा तो देश के अन्य राज्य भी ले सकेंगे फ़ैसला :- हरियाणा के साथ देश में पेट्रोल व डीजल के दाम में लगातार बढ़ोत्तरी के बीच ट्रांसपोर्ट संगठनों ने केंद्र से गंभीर पहल की मांग की है। उनके मुताबिक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत लाकर पेट्रो पदार्थों के दाम घटाने की दिशा में राज्य सरकारों की चिंताओं को दूर कर उन्हें विश्वास में लाते हुए केंद्र को ठोस पहल करनी चाहिए। इस पर केंद्र व राज्यों का एक-दूसरे के पाले में गेंद डालने की कोशिश सही नहीं है
क्योंकि इस बढ़ोत्तरी से आम लाेगों की जेब के साथ देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है। हाल ही में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सफाई दी है कि केंद्र पेट्रो पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाकर उपभोक्ताओं काे राहत देना चाहती है, पर राज्य सरकारें ऐसा नहीं चाह रही है।
ग़ौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में हरियाणा सरकार ने पेट्रोल डीज़ल पर टैक्स लगा कर 685 करोड़ अर्जित किए
हरियाणा में पेट्रोल 104 के पार गया
मंगलवार को हरियाणा में पेट्रोल की कीमत 106 रुपये प्रति लीटर तो डीजल 96.06 रुपये प्रति लीटर रहा। जबकि हरियाणा में पेट्रोल बिना टैक्स के कीमत 54 रुपये से थोड़ा ही अधिक है। ऐसे में तकरीबन 60 रुपये केंद्र उत्पाद शुल्क व राज्य सरकार वैट के रूप में आम लाेगों की जेब से निकाल रही है। यहीं हाल डीजल को लेकर भी है।
पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग
हरियाणा ट्रांसपोर्ट व ट्रक एसोसिएशन ने कहा कि ट्रांसपोर्टर के साथ आम लोग लगातार पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि अधिकतम जीएसटी शुल्क 28 फीसद तक ही हो सकता है। ऐसे में पेट्रोल का दाम बमुश्किल 70 रुपये ही होगा, लेकिन राज्य व केंद्र सरकारें इस विषय को अभी तक फुटबाल बनाकर रखा हुआ है।वहीं, इनके दाम आसमान छू रहे हैं। स्थिति यह कि कुछ माह की बढ़ोत्तरी के कारण माल ढुलाई की लागत 30 फीसद बढ़ गई है। इसका असर उपभोक्ताओं और ट्रांसपोर्टरों की जेब पर पड़ रहा है।
केंद्र का काम है सहमति बनाए
हरियाणा ट्रांसपोर्ट व ट्रक एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि यह केंद्र का काम है कि जिस प्रकार उसने राज्य सरकारों के साथ सहमति बनाकर जीएसटी कानून को लागू कराया उसी तरह पेट्रो पदार्थों को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए।उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सबसे पहले केंद्र सरकार को अपने उत्पाद शुल्क में कटौती करनी चाहिए तथा भाजपा शासित राज्यों में भी वैट कटौती की पहल होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में दूसरे दलों द्वारा शासित राज्य सरकारों पर भी इसका नैतिक दबाव बढ़ेगा। इस संबंध में उन्होंने हरियाणा सरकार से भी ठोस पहल की मांग की है।