बेशर्मी पर उतारू भाजपा की गठबंधन सरकार, किसानों को डीएपी तक मुहैया नहीं करवा रही: अभय चौटाला

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इनेलो के प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद से विधायक अभय सिंह चौटाला ने भाजपा गठबंधन सरकार द्वारा मंडियों में धान की खरीद बंद करने एवं फसलों के लिए बेहद आवश्यक डीएपी खाद उपलब्ध न करवा पाने की तीखे शब्दों में आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर बड़ा हमला बोला।

उन्होंने कहा कि बड़े शर्म की बात है कि प्रदेश का मुख्यमंत्री किसानों की फसल की खरीद एमएसपी पर करना तो दूर पिछले एक महीने से किसानों को खेती के लिए जरूरी डीएपी खाद तक मुहैया नहीं करवा पा रहे हैं। गठबंधन सरकार के कारण बिजाई के समय अन्नदाताओं को डीएपी के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं।

बेशर्मी पर उतारू भाजपा की गठबंधन सरकार, किसानों को डीएपी तक मुहैया नहीं करवा रही: अभय चौटाला

हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि अब महिलाएं भी खाद लेनेे के लिए लाइन में लगी हुई हैं। इन सब हालातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि भाजपा सरकार को किसान, मजदूर और कमेरे से कोई लेना देना नहीं है।

जैसे हालात पूरे देश में नोटबंदी करने के बाद पैदा कर दिए गए थे वैसे ही हालात आज पूरे हरियाणा प्रदेश में डीएपी खाद को पाने के लिए कर दिए हैं। भाजपा गठबंधन के लोग ऐसे समय में डीएपी खाद की जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं। बेशर्मी पर उतारू भाजपा सरकार फिर भी खोखले दावे कर रही है कि डीएपी खाद की प्रदेश में कोई कमी नहीं है।

बेशर्मी पर उतारू भाजपा की गठबंधन सरकार, किसानों को डीएपी तक मुहैया नहीं करवा रही: अभय चौटाला

भाजपा गठबंधन सरकार को चाहिए कि किसानों की जरूरत को समझे अगर किसानों को समय पर खाद नहीं मिलेगा तो फसल का उत्पादन नहीं होगा जिससे किसान भारी आर्थिक संकट में आ जाएगा।

पानीपत, जींद और कलायत की मंडियों का तो यह हाल है कि किसान पिछले एक हफ्ते से अपने ट्रैक्टर और ट्रालियों के साथ इस इंतजार में खड़े हैं कि कब सरकार उनके धान की खरीद करेगी और वो अपने घर को जाएंगे।

बेशर्मी पर उतारू भाजपा की गठबंधन सरकार, किसानों को डीएपी तक मुहैया नहीं करवा रही: अभय चौटाला

धान की खरीद बंद होने पर जींद मंडी से बड़ौदी गांव के सत्यवान नामक एक किसान गुहार लगा रहा था कि अभी खेत से उसकी फसल की कटाई हुई है और उसकी धान की फसल कोई लेने वाला नहीं है, अब वो अपनी फसल कहां लेकर जाएगा।

किसान भाजपा सरकार को बुरी तरह कौसते हुए कह रहा था कि अगर उसकी धान नहीं बिकी तो वह आत्महत्या जैसा कदम उठाने पर मजबूर हो जाएगा।
किसानों के ऐसे बदतर हालातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि केंद्र द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानून अभी लागू भी नहीं हुए है तो यह हालात हैं अगर तीन काले कृषि कानून लागू हो गए तो किसानी के साथ-साथ मजदूर, कमेरे वर्ग और आम जनता का अंत भी निश्चित है।