फरीदाबाद: कोविड-19 महामारी जंगल में लगी आग की तरह पूरे विश्व में फैल रही है। फरीदाबाद जिले में तेजी से बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए प्रशासन ने अलग-अलग तरह की तैयारियां शुरू कर दिया है। कोरोना संक्रमित मरीजों को भर्ती करने के लिए 6 आइसोलेशन सेंटर बनाने और उनके लिए करीब दस हजार गत्तों के बेड तैयार करने की योजना बनाई जा रही है।
फरीदाबाद प्रशासन ने विनर रचनात्मक गत्ते से बने बैड़ों के सैंपल जांच के लिए मंगा लिए हैं। प्रशासन अधिकारियों को सैंपल बेड पसंद आए हैं और उन्होंने लगभग 10,000 बेड नए आइसोलेशन सेंटर के लिए ऑर्डर कर दिए हैं।
क्या होगी इन बैडौं की खासियत
- यह सभी बेड गत्ते से बनाए जाएंगे इसलिए इन्हें रीसाइकिल करना आसान है। साथ ही ये इको फ्रेंडली भी होंगे।
- गत्ते से बनाए जाने के कारण इनकी लागत बहुत कम आ रही है। जिन बेड को चयनित किया गया है उन में एक बेड की लागत करीब 750 से 800 रुपए तक आ रही है।
- विशेषज्ञों के अनुसार गत्ते के बेड पर कोरोना वायरस की लाइफ महज दो से ढाई घंटे तक ही होती है। इसलिए इन बेडों से संक्रमण फैलने का खतरा भी बहुत कम रहेगा। जबकि लोहे अथवा लकड़ी के बेड पर इसकी लाइफ अधिक होती है।
- इन बेडों पर एक मरीज को आसानी से रखा जा सकता है। बस उस पर चादर बदलने की जरूरत पड़ेगी। कोरोना संकट खत्म होने के बाद उसे स्क्रैप में भी बेचा जा सकेगा।
कहां-कहां बनेंगे कोरोना मरीजों को भर्ती करने के लिए आइसोलेशन सेंटर
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार फरीदाबाद के आसपास के 6 स्थान आइसोलेशन सेंटर बनाने के लिए चुने गए हैं। इनमें नहरपार स्थित सुधा रस्तोगी डेंटल कॉलेज, भूपानी स्थित लिंग्याज यूनिवर्सिटी, सूरजकुंड रोड स्थित मानव रचना यूनिवर्सिटी, सोहना रोड धौज स्थित अलफलाह यूनिवर्सिटी, सोहना रोड स्थित गांव आलमपुर और दिल्ली मथुरा रोड स्थित वाईएमसीए यूनिवर्सिटी को चिह्नित किया गया है।
आशा जताई जा रही है कि अगर कोरोनावायरस मरीजों की संख्या बढ़ती है तो इन छह स्थानों को आइसोलेशन सेंटर में बदला जाएगा जिनका प्रशासन ने पहले से इंतजाम कर लिया है। यह फरीदाबाद प्रशासन की तरफ से इस महामारी के खिलाफ एक कड़ा कदम बताया जा रहा है।
Written by- Vikas Singh