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अटूट संघर्ष और आपके स्नेह से पाया है PEHCHAN FARIDABAD ने यह मुकाम, तहेदिल से धन्यवाद

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फरीदाबाद : दुआ एक ऐसा शब्द है जिसमे किसी को भी फर्श से अर्श पर बिठाने की ताकत होती है ऐसा ही कुछ हमारे (पहचान फरीदाबाद) के साथ हुआ, क्योंकि हम लोगो को आपके प्यार और दुआओ ने यहाँ तक पहुंचाया है। एक सफर जो हमने शुरू किया आपके साथ आज इस मक़ाम तक पंहुचा गया की हम आपको धन्यवाद किये बिना नहीं रहे सके।

सफर थोड़ा लम्बा था कठिन था लेकिन आपके प्रेम और अनुराग के साथ हमे इस सफर में आनंद आने लगा और हम रोज आपके लिए कुछ नया लाने लग गए।
अगर यह कहा जाये की इस मोके पर मुझे मजरूह सुल्तानपुरी के शेर “मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया ” की दो लाइन याद आ रही है तो शायद गलत नहीं होगा।

अटूट संघर्ष और आपके स्नेह से पाया है PEHCHAN FARIDABAD ने यह मुकाम, तहेदिल से धन्यवाद

फरीदाबाद की पत्रकारिता को देखते हुए कुछ समय पहले एक संस्था की नीव रखी गई जो शायद फरीदाबाद में पत्रकारिता के नए आयाम पेश कर सके। जिसमे केवल निष्पक्ष पत्रकारिता हो और उसी एक मकसद को लेकर आगे बढ़ते गए । बहुत सारी चुनोतियाँ का सामना किया ।

अटूट संघर्ष और आपके स्नेह से पाया है PEHCHAN FARIDABAD ने यह मुकाम, तहेदिल से धन्यवाद

हमने आपको रोजना समाचार के साथ शहर की उन छोटी बड़ी समस्या से अवगत कराया जिन से सरकार और प्रशासन को समझाया जा सके । सुरजकुण्ड के मेले की खुशिया आपके घर पर पहुचाई। महामारी को वो दौर देखा जिसमे पूरी दुनिया के साथ समूचा फरीदाबाद घर पर बैठा था । लेकिन आप तक आपके शहर की हर खबर पहुचाने के लिए पहचान परिवार सड़को पर था ताकि आपको हर उस खबर की जानकारी हो जो आपके लिए जरूरी है चाहे निकिता हत्याकांड हो या किसान आंदोलन या खोरी तोड़फोड़ पहचान फ़रीदबाद ने हमेशा उस आवाज को बुलंद किया जिसको साथ कि जरूरत थी ।

अटूट संघर्ष और आपके स्नेह से पाया है PEHCHAN FARIDABAD ने यह मुकाम, तहेदिल से धन्यवाद

इन परिवार को आपके भरोसे, आपकी आशाओं और आपके प्यार ने बेमिसाल बनाया है. जनता के विश्वास ने पहचान फरीदाबाद को सोशल मीडिया पर भी बादशाहत का ताज पहनाया है 2 साल के इस सफ़र को ऐसा बेमिसाल बनाया. जिसकी बेखौफ पत्रकारिता की मिसालें दी जाती है

वक्त के बदलाव के साथ हम नहीं बदले, पहचान फरीदाबाद के अंदाज और निडरता ने हमेशा अलग पहचान बनाई.  

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