तो इसलिए मनाते हैं गुरुपूर्णिमा, जानिये इसके महत्व

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गुरु एक शब्द नहीं जो लबों से निकल गया हो, गुरु वो भंडार है जहां कभी कमी नहीं आती, हमेशा ज्ञान मिलता है | गुरु वो आस्था है जिसके बिना इंसान कुछ नहीं है | गुरु को हम शब्दों में परिभाषित नहीं कर सकते, जिसने हमें शब्द लिखना सिखाया उसी को आखिर कैसे कर सकते हैं हम परिभाषित ?

गुरु होता है सबसे महान जो देता है सबको ज्ञान | आज गुरु पूर्णिमा का त्योहार है। इस पर्व पर अपने गुरु के प्रति आस्था को प्रगट किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन विधिवत रूप से गुरु पूजन किया जाता है। इसको व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं।

तो इसलिए मनाते हैं गुरुपूर्णिमा, जानिये इसके महत्व

गुरु बिन इंसान के जीवन में सुख का किनारा नहीं होता | सनातन धर्म के अनुसार गुरु को ब्रह्मा माना गया है , गुरु विष्णु हैं, गुरु देव महेश्वर शिव हैं, गुरु ही वस्तुतः परब्रह्म परमेश्वर हैं | गुरुपूर्णिमा को को चारों वेदों के रचयिता और महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना करने वाले वेद व्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के शुभ दिन पर अपने गुरुओं और बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है।

गुरु पूर्णिमा पर गुरु का पूजन करने की परंपरा है। महर्षि वेद व्सास की जयंती पर इस पर्व को मनाया जाता है। चारों वेदों, 18 पुराणों , महाभारत के रचयिता और कई अन्य ग्रंथों के रचनाकार का श्रेय महर्षि वेद व्यास को दिया जाता है। वेदों का विभाजन करने के कारण इनका नाम वेद व्यास पड़ा।

तो इसलिए मनाते हैं गुरुपूर्णिमा, जानिये इसके महत्व

भारतीय संस्कृति में और सनातन धर्म में गुरुओं को भगवान से भी ऊपर का दर्जा प्राप्त है | आज गुरु पूर्णिमा के साथ-साथ आज चंद्र ग्रहण भी है | लेकिन इस चंद्र ग्रहण का असर भारत में नहीं होगा जिसके कारण सूतक मान्य नहीं होगा। गुरु वो रौशनी है जो पूर्ण अंधेरा समाप्त करने का कार्य करता है | गुरु पूर्णिमा पर्व के दिन गुरु पूजा के लिए मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पूर्णिमा की तिथि 4 जुलाई को सुबह 11 बजकर 33 मिनट से लग जाएगी जो 5 जुलाई की सुबह 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगी।

गुरु पूर्णिमा की सुबह स्नान कर साफ कपड़े पहनकर अपने घर के पूजा स्थल पर लगी देवी-देवताओं को प्रणाम करते हुए उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इसके बाद पूजा स्थल पर रखें अपने गुरु की तस्वीर को माला फूल अर्पित कर उनका तिलक करना चाहिए। पूजा करने के बाद अपने गुरु के घर जाकर उनका पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए।

तो इसलिए मनाते हैं गुरुपूर्णिमा, जानिये इसके महत्व

इस दुनिया में ऐसे बहुत से लोग होंगे जो आपकी सफलता से ईर्ष्या करते होंगे | लेकिन गुरु ही इस दुनिया में एक ऐसा है जो आपकी सफलता से खुद पर गर्व मह्सूस करता है और आपकी और अधिक सफलताओं के लिए कामना करता है | हीरे की तरह तराशा गुरु ने, जीवन को आसान बनाया गुरु ने, जैसा कि आप गुरु के साथ चलते हैं, आप अस्तित्व के प्रकाश में चलते हैं, गुरु ही मीत है, गुरु ही प्रीत है, गुरु ही जीवन है, गुरु ही प्रकाश है |

Written By – Om Sethi