धुआँ-धुआँ हो रहा है शहर, हवा में घुल रहा है ज़हर, अब जाएं तो जाएं कहाँ : मैं हूँ फरीदाबाद

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नमस्कार! मैं हूँ फरीदाबाद, आज बहुत दिनों बाद मैं आप सभी से मिलने आया हूँ और अपने साथ लाया हूँ एक आंकड़ा। जानता हूँ कि आप लोगों को आंकड़ों में खास दिलचस्पी नहीं है पर इस बार आपको मेरी परेशानी सुननी होगी।

मैं इन दिनों काफी बीमार चल रहा हूँ और मेरी बिमारी का कारण है मेरी जनता और मेरी आवाम। क्या हुआ चौंक गए ? पर मेरी खराब तबियत के जिम्मेवार आप और आपका सोया हुआ प्रशासन है। आपको एक खबर बताता हूँ, खबर है फरीदाबाद के एनआईटी की शिखर में पहुँचने की।

धुआँ-धुआँ हो रहा है शहर, हवा में घुल रहा है ज़हर, अब जाएं तो जाएं कहाँ : मैं हूँ फरीदाबाद

रुकिये-रुकिए इस खबर में गर्व महसूस करने लायक कुछ भी नहीं है। एनआईटी को शीर्ष स्थान मिला है क्षेत्र के सबसे प्रदूषित इलाका होने का। जानते हैं क्षेत्र को यह तमगा कैसे मिला है। इस ताज को पाने के लिए एनआईटी ने कई पापड़ बेले है।

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कंपनियों की धूल खाई है, जतना का कूड़ा खाया है और क्षेत्र के हर पेड़ को अपने प्रांगण से कटवाया है। इतने गहन बलिदान के बाद ही एनआईटी के सर पर यह ताज रखा गया है। महामारी के दौर तो अब आया है पर एनआईटी निवासी तो पहले से ही अपनी नाक ढंक कर चलते थे। पर अब समय है जागने का और समझने का कि मेरे स्वास्थ्य को देख रेख की जरूरत है।

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क्षेत्र की प्रदूषित हवाओं में ज़हर मिला हुआ है जो रोज मेरा दम घोंटती है। मुझे मजबूर मत कीजिये कि मैं बिखर जाऊं मैं जीना चाहता हूँ और खुलकर सांस लेना चाहता हूँ। आवाम को जागना होगा, निजाम को जागना होगा, कूड़े का प्रवाह रोकना होगा।

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जब गंदगी रुकेगी तो प्रदूषण से बचा जाएगा। पौधारोपण होगा तो ऑक्सीजन का संचार होगा जिससे प्रदूषण का स्तर कम होगा। प्रदूषण के नित्यंतरण में आते ही मेरी स्वच्छता और स्वास्थ्य निश्चित किया जा सकेगा। आप सभी से अनुरोध कर सकता हूँ कि मुझे जीवन दान दीजिये। मैं हूँ फरीदाबाद और मैं जीना चाहता हूँ।