इस बार की छठ होगी एक नए अंदाज में ,जानिए क्या होगा नया और क्यों बदली बरसो की परंपरा

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नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय षष्ठी का व्रत बुधवार से शुरू हो चुकी है। श्रद्धालुओं में उल्लास का आलम यह है कि मंगलवार की शाम तक कुछ लोगों ने घाटों व सरोवरों के किनारे वेदी बनाकर अपना नाम लिखकर जगह पक्की कर ली है।

इस बार की छठ होगी एक नए अंदाज में ,जानिए क्या होगा नया और क्यों बदली बरसो की परंपरा

वहीं कई घरों में महिलाएं कोरोना बचाव के लिए घर के छत पर कुंड तैयार कर छठ मइया की पूजा करनी शुरू कर दी है। घरों से लेकर सड़कों तक छठ माता की आराधना के गीत गूंजने लगे हैं। बाजार में सूप और दउरी की खरीद के लिए भीड़ लगी चुकी है। गन्ने के मंडप के बीच वेदियों पर अखंड दीप जलाकर शुक्रवार को अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ 36 घंटे के निर्जला व्रत का शनिवार समापन होगा।

इस बार की छठ होगी एक नए अंदाज में ,जानिए क्या होगा नया और क्यों बदली बरसो की परंपरा

जिस तरीके से भक्तो ने छट माँ की आराधना की पूरी तैयारी कर ली है उसी तरीके से महामारी से बचाव के किया सरकार भी पूरी तरह से तैयार हो चुकी है ।इस बार की छट श्रद्धालुओ के लिए थोड़ी अलग होने वाली है ।जिस तरीके से पहले सभी भक्तजन घाट पर जाकर सूर्य देव को अर्ग देते थे ,इस बार ऐसा नही होगा ।महामारी के बढ़ते दर को देखते हुए सरकार ने इस बार घर पर ही छट बनाने वह घाट पर व्रती के साथ एक ही सदस्य को आने की अनुमति दी है ।


छठ करने वाली व्रती महिलाओं में किसी ने बेटी के लिए योग्य वर मिलने तो किसी ने पति की नौकरी के लिए व्रत का संकल्प लिया है। छठ माता से घर-परिवार से लेकर नैहर, ससुराल और राष्ट्र, समाज तक के मंगल की कामना की जाएगी। व्रत को लेकर उत्साह देखते बन रहा है। व्रत में अर्घ्य देने के लिए दिल्ली, मुंबई, पटना से रिश्तेदार भी पहुंचने लगे हैं। मंगलवार को देर शाम तक घरों में साफ- सफाई के साथ नहाय-खाय की तैयारियां होती रहीं।

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काशी के गंगा घाट और प्रमुख तीर्थ कुंडों पर होने वाले छठ महोत्सव को सीमित कर दिया गया है। जिला प्रशासन की ओर से जारी दिशा निर्देश में बताया गया है कि कोरोना संक्रमण के चलते सिर्फ पूजा होगी। किसी भी तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाएगा। प्रशासन ने सरकार के बताए नियमों का पालन करने और शारीरिक दूरी बनाकर पूजन की अपील की है।