नमस्कार! मैं फरीदाबाद एक खुलासा करने आया हूँ। आप सभी को तो पता होगा कि कुछ दिन पूर्व नीलम पुल के नीचे आग लग गई थी। उस आग के लगने की वजह एक कबाड़ का ढेर था जो पुल के नीचे रखा हुआ था।
जब कबाड़ के ढेर ने आग पकड़ी तो पूरा पुल आग की लपटों में नहाने लग गया। पुल के तीन अहम स्तम्भ जलकर जर्जर हो गए और त्राहिमाम शुरू हुआ। अब आग लगने के बाद परेशानियों का दौर शुरू हो चुका है। मेरी आवाम को यातायात में दिकत्तों का सामना करना पड़ रहा है।
पुल के एक तरफ ही वाहन जाने की इजाज़त दी जा रही है। अब इसके लिए प्रशासन को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता उन्हें भी तो जर्जर पुल की मरम्मत के लिए वक्त की जरूरत है। अब दारोमदार नगर निगम के कंधो पर है कि पुल की मरम्मत जल्द से जल्द करवाई जाए।
अरे पर नगर निगम के बारे में तो कोई सोच ही नहीं रहा जो पहले से ही कर्ज़े में डूबा हुआ है और अब पुल की मरम्मत के लिए 24 लाख रुपयों की दरकार में है। पर जानते हैं ख़ास बात क्या है ? ख़ास तो वो कबाड़ी है जिसके ढेर ने आग पकड़ कर पूरे पुल की मिट्टी पलीत कर दी।
महज़ 5 हजार का जुर्माना देकर अब कबाड़ी फरार हो चुका है। एक और ख़ास बात यह है कि अभी तक उस कबाड़ी के नाम पर संशय बरकरार है। कोई कह रहा है कि पुल के नीचे पड़ा कबाड़ का ढेर जगदीश का था। तो किसी का कहना कि कबाड़े का मालिक असलम है।
पर सवाल तो तहकिकात में जुटे आला अफसरों पर थोपा जाना चाहिए कि आखिर जुर्माना लेने के बावजूद वह अभी तक कबाड़ी के नाम की पुष्टि क्यों नहीं कर पाए हैं ? सोचने वाली बात है कि एक कबाड़ी जो शहर के अहम ओवरब्रिज को क्षति पहुंचा देता है उसके खिलाफ प्रशासन इतनी सुस्ती से कार्रवाई कर रहा है ?
नगर निगम ने जिस कबाड़ी से जुर्माना वसूला है उसका नाम जगदीश है पर कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस कबाड़ी का गोदाम पुल के नीचे था उसका नाम असलम है। पर वाह रे निगम, क्या खूब कदम उठा रहे हो मेरे विकास की राह को और जटिल बना रहे हो।