गांव अमीपुर निवासी कारोबारी मनोज भाटी की हत्या में प्रयुक्त हुई फार्च्यूनर कार गांव कामनगर निवासी किसी सक्षम वाधवा के नाम पर पंजीकृत है। सीसीटीवी फुटेज से पुलिस को फार्च्यूनर कार का नंबर हासिल हुआ था।
जब वाहन एप पर इस नंबर की पड़ताल की गई तो कामनगर का एड्रेस मिला। क्राइम ब्रांच की टीमें कामनगर रवाना हो गई हैं। हत्या में प्रयोग हुई दूसरी कार कोरोला को बदमाश तिगांव थाना क्षेत्र में लावारिस छोड़कर भाग गए थे। यह कार दिल्ली नंबर की है। जिस व्यक्ति के नाम यह कार पंजीकृत है, उसने किसी अन्य को बेची हुई थी।
पुलिस को पता चला है कि शूटर कई दिन से फरीदाबाद में थे। वे मनोज भाटी की रेकी कर रहे थे। मौका मिलते ही उन्होंने वारदात कर दी। किसी स्थानीय व्यक्ति द्वारा शूटरों को भाटी की गतिविधियों की जानकारी देने की बात भी पता चली है।
क्राइम ब्रांच सेक्टर-30 ने 3 दिसंबर को ग्रीन फील्ड कालोनी से यूपी के हिटलर गैंग के दो शूटर गौरव और रोहित को गिरफ्तार किया था। क्राइम ब्रांच का दावा है कि मनोज मांगरिया ने उन्हें तीन लोगों को उड़ाने की सुपारी दी थी। उनके टारगेट पर मांगर निवासी पवन हरसाना भी था।
पुलिस का अनुमान है कि 3 दिसंबर को शूटरों के पकड़े जाने के बाद मांगरिया ने नए सिरे से सुपारी दी। मनोज भाटी उन्हें सबसे आसान टारगेट लगा, इसलिए उन्हें निशाना बनाया।
मनोज के दोस्तों ने बताया है कि बदमाशों ने एक दिन पहले मंगलवार को भी मनोज भाटी की फील्डिग बिठाई थी, मगर उस दिन शाम को भाटी गांव मंधावली में अपने दोस्तों से मिलने चले गए।
दोस्तों के अनुसार भाटी के पास लगातार किसी की काल आ रही थी, जो उन्हें बुला रहा था। दोस्तों ने उन्हें यह कहकर जाने से रोक दिया कि हमारे लिए तो तुम्हारे पास समय ही नहीं है। इसके बाद भाटी ने फोन करने वाले को आने से इंकार कर दिया।