किसान आंदोलन के भेष में सामाजिक हितकारी बताने वाले नेताओं ने ओढ़ा है गुमराह का मखौल

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26 जनवरी को जहां प्रत्येक वर्ष सामाजिक कार्यक्रम से ही पूरा भारत गूंजता था। वही 72 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत की राजधानी दिल्ली ने ऐसे दृश्य दुनिया को दिखाएं जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

वह भी अन्नदाताओं के द्वारा जिन्होंने दिन रात मेहनत कर फसल उगा कर अपना जीवन समर्पित किया हो। उक्त प्रकरण के बारे में बताते हुए

किसान आंदोलन के भेष में सामाजिक हितकारी बताने वाले नेताओं ने ओढ़ा है गुमराह का मखौल


आदम सामाजिक संगठन असोसिएशन फॉर डिवेलपमेंट एंड अवेकनिंग ऑफ मेवात ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर किसान आंदोलन की आड़ में प्रायोजित ट्रैक्टर परेड की कड़ी निंदा की है।

वहींसंस्था के अध्यक्ष खुर्शीद राजाका ने राकेश टिकैत, योगेन्द्र यादव और गुरनाम सिंह चढूनी जैसे किसान नेताओं को सत्ता के लालची फर्जी करार कर दिया है।उन्होंने कहा कि यह लोग जो खुदको किसान नेता बताते है

किसान आंदोलन के भेष में सामाजिक हितकारी बताने वाले नेताओं ने ओढ़ा है गुमराह का मखौल

वह असल मेंअपने आपको सामाजिक नेता बताकर व झूठ बोलकर देश को गुमराह करने के अलावा और कुछ नहीं कर रहे हैं। उन्होने कहा कि यह लोग शुद्ध रूप से राजनीतिक लोग हैं और अपने प्रदेशों में कई राजनीतिक पार्टियों की टिकट पर मौजूदा सरकार की पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़कर अपनी जमानत जब्त भिबकरवा चुके हैं।

खुर्शीद ने आगे कहा कि दिल्ली के लालकिला पर एक धर्म विशेष का झंडा फहराकर यह साबित हो गया है कि यह आंदोलन किसानों के समर्थन में नहीं है, बल्कि भारत विरोधी आंदोलन है।

आदम संस्था भारत सरकार से मांग करती है कि जल्द से जल्द किसानों को गाजीपुर, सिंघु, टीकरी व शाहजहांपुर बॉर्डर व आटोहा से हटाएं और दिल्ली की घटना के दोषी व्यक्तियों को गिरफ्तार कर सख्त कानूनी कार्रवाई करें।