22 मार्च यानी आज से 1 साल पहले एक ऐसी बीमारी के लिए जिले में या फिर यूं कहें पूरे देश भर में लॉकडाउन लगा दिया गया था। जिसके बाद लोगों का घरों से निकलना नामुमकिन सा हो गया था। शहर की सड़कें सुनसान विरान पड़ी हुई थी।
बाजारों में परिंदा भी पर नहीं मार रहा था। प्रवासी अपने घर जाने के लिए किसी ना किसी वाहन का इंतजार करते हुए सड़कों पर नजर आ रहे थे।
लेकिन उनको घर जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिल रहा था। सोमवार 22 मार्च 2021 महामारी को 1 साल हो गया है। लेकिन उसके बावजूद भी शहर के लोगों में जागरूकता नहीं आई है, कि मास्क और 2 गज की दूरी आज भी है जरूरी।
अगर हम बाजारों की बात करें तो लोग बिना मास्क के शॉपिंग करते हुए नजर आ जाएंगे। जो दुकानदार मास्क बेच रहा होता है वही मास्क नहीं लगा रहा होता है। इसके अलावा अगर हम किसी रेस्टोरेंट की बात करें वहां पर भी भारी संख्या में लोग खाना खाने के लिए जाते हैं।
लेकिन खाना खाने के बाद भी वह लोग मास्क का उपयोग नहीं करते हैं। इसके अलावा जिले के स्वास्थ्य केंद्रों की बात करें जहां पर मरीज अपना उपचार करवाने के लिए आते हैं। वहां पर भी मरीज व उनके परिचय आपके बिना नजर आते हैं।
स्वास्थ्य विभाग में मौजूद कर्मचारियों के द्वारा परिजनों को कहा जाता है कि मास्क का उपयोग करें। लेकिन उसके बावजूद भी वह मास्क का उपयोग नहीं करते हैं। अगर हम 1 साल पहले की बात करें, तो अस्पताल से लेकर बाजारों में जगह-जगह मास्क और सैनिटाइजर रखे हुए मिल जाते थे।
लेकिन अब वही उन्हीं जगह पर कोई भी सैनिटाइजर नजर नहीं आता है। बीके अस्पताल की ओपीडी में पहले जहां हर डॉक्टर के रूम के बाद सैनिटाइजर रखा होता था। वही आज उन्हीं जगहों पर सैनिटाइजर की बोतल व मशीन तो नजर आ जाएगी। लेकिन आपको उसमें सैनिटाइजर नजर नहीं आएगा।
क्योंकि वह बोतल खाली हो चुकी है और उस ओर कोई भी स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी या अधिकारी ध्यान नहीं दे रहा है। इसके अलावा अगर हम स्वास्थ्य विभाग में बने हुए शौचालयों की बात करें, तो उसने भी किसी प्रकार का कोई भी सैनिटाइजर व साबुन नहीं रखा हुआ है। जिसकी वजह से वहां पर आने वाले मरीजों व परिजनों को सिर्फ पानी से हाथ धो कर ही अपना बचाव करना पड़ रहा है।