एक साल बाद फिर महामारी ने मचाई तबाही तो पलायन करने को सैकड़ों प्रवासी हुए मजबूर

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फरीदाबाद: लाचार, मजबूर और बेबस शब्द भले ही अलग हो लेकिन इनके अंदर छिपे दर्द का एहसास क्या होता है इसे उन प्रवासियों से पूछे जिन्होंने करीबन एक साल पहले संक्रमण के बढ़ते कहर के बीच मिलो दूर का सफर नंगे पांव तक भूखे पेट किया था।

अब देश में एक बार फिर कोरोना दूसरी लहर से कहर मचाने पर तुला हुआ है, और यह इतना प्रभावशाली हो चुका है कि अब तेजी से लोगों को अपनी आगोश में लेकर जाता है।

एक साल बाद फिर महामारी ने मचाई तबाही तो पलायन करने को सैकड़ों प्रवासी हुए मजबूर

परिणाम यह है कि अब एक बार फिर बढ़ते मामलों के भेज लॉक डाउन की इससे थी प्रवासियों के दिल को दहला रही हैं। पहले जहां अभी तक हजारों की संख्या में संक्रमित मरीजों की पुष्टि होती थी,

अब यह संख्या लाख़ के अंक को भी पार कर रही है। जिसको देखते हुए देश के कई राज्यों द्वारा नाईट कर्फ्यू की घोषणा भी की जा चुकी है।

एक साल बाद फिर महामारी ने मचाई तबाही तो पलायन करने को सैकड़ों प्रवासी हुए मजबूर

वहीं, पिछले साल लगे लॉकडाउन के कारण जो तस्वीर प्रवासी मजदूरों की देखने को मिली थी वहीं तस्वीर एक बार फिर देखने को मिल रही है। प्रवासी मजदूरों को बीते साल लॉकडाउन के चलते तमाम तरह की परेशानियों को झेलना पड़ा था।

जिसको देखते हुए प्रवासी मजदूरों ने इस बार संपूर्ण लॉकडाउन के डर से पहले ही पलायन शुरू कर दिया है।

एक साल बाद फिर महामारी ने मचाई तबाही तो पलायन करने को सैकड़ों प्रवासी हुए मजबूर

हरियाणा से वापस घर लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की लाइन राष्ट्रीय राजमार्ग पर देखने को मिल रही है। वहीं, मजदूरों के इस पलायन से उद्योगों के लिए तनाव बनते दिख रही है। वहीं, पलायन कर रहे मजदूरों का कहना है कि, “

बीते साल लगे लॉकडाउन से सबसे ज्यादा परेशानी हम मजदूरों को हुई थी. जब काम मिलना पूरी तरह बंद हो गया और जेब में एक रुपया नहीं बचा तो हमें पैदल ही अपने घर लौटना पड़ा।” मजदूरों ने आगे कहा कि, “इस साल ऐसी स्थिती पैदा ना हो कि हमें पैदल घर वापस जाना पड़े इसलिए हम अभी ही घर लौट रहे हैं।