अरावली की वादियां इन दिनों अवैध खनन के साथ- साथ कचरे की भी मार झेल रही है। प्रशासन तथा लोग अपना कचरा अरावली में डाल रहे है जिससे अरावली का वातावरण प्रदूषित हो रहा है।
दरअसल, एनजीओ स्टूडेंट्स फॉर अरावली के द्वारा अरावली में कचरे की समस्या को लेकर एक ट्वीट किया गया है। ट्वीट में एनजीओ द्वारा अरावली को बचाने की अपील की गई। उन्होंने अपने ट्वीट में सरकार से यह सवाल पूछा है कि राज्य सरकार राज्य के औसतन 3.6 प्रतिशत वन आवरण को नष्ट करने पर क्यों तुला हुआ है?
एनजीओ ने बताया कि प्रशासन को इस विषय में अवगत कराया गया है परंतु अधिकारियों का कहना है कि उन्हें इस जगह के विषय में जानकारी ही नही है। ऐसे में यह सोचने वाला विषय है कि जब एनजीओ को इस विषय में जानकारी है तो प्रशासन को क्यों नही है।
आपको बता दें कि हरियाणा सरकार ने माइनिंग को वैध करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है जिसका फ़ैसला 29 अप्रैल को आना है। अगर यह फ़ैसला सरकार के पक्ष में आता है तो अरावली का स्वरूप कुछ ही दिनों में बद से बदतर हो जाएगा।अरावली पर्वत श्रृंखला 5 जिलों गुड़गांव, मेवात,फरीदाबाद, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ से होकर गुजरती है।
फरीदाबाद और गुड़गांव की बात करें तो इसका दायरा असोला से शुरू होकर फरीदाबाद के सूरजकुंड, मांगर बणी, पाली बणी, बडखल व गुड़गांव के दमदमा तक है। दोनों जिलों में इसका कुल दायरा लगभग 180 स्कवॉयर किलोमीटर करीब है। अरावली की पहाड़ियों में जंगल अधिक हैं। इसके अलावा पेड़ों की अलग-अलग किस्म भी हैं। अरावली की पुरानी चट्टानों में काफी खनिज हैं।
अक्सर देखने में आता है कि अरावली में लकड़ी माफिया कीकर के पेड़ काट कर ले जाते हैं। इसके अलावा अवैध खनन भी काफी होता है। फरीदाबाद की सरहद में आने वाले मांगर गांव को घने फॉरेस्ट के लिए जाना जाता है। अब भूमाफिया मांगर को अपना निशाना बनाने में लगे हुए हैं।