महामारी का जो दूसरा फेस शुरू हुआ है उससे दिन प्रतिदिन मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिसके चलते जिले के एकमात्र सरकारी अस्पताल को ऑक्सीजन भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रही है। जिसकी वजह से कई मरीजों को प्राइवेट अस्पताल का रुख करना पड़ रहा है।
वहीं कई अपनी जिंदगी से आज करवा चुके हैं। इस समय लोगों को अस्पतालों में बेड की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है । मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जहां एक और स्वास्थ्य विभाग अपनी ओर से पूरी सतर्कता तो दिखा रहा है। वहीं प्रशासन की ओर से भी सतर्कता दिखाई दे रही है।
पुलिस दिन प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में मास्क के चालान काट रहा है। लेकिन उसके बावजूद भी लोग मास्क और 2 गज की दूरी को अपना नहीं रहे हैं। जिसकी वजह से वह महामारी की चपेट में आ रहे हैं। और उनकी वजह से उनके आसपास रहने वाले लोग भी उसकी चपेट में आ रहे हैं।
बिना मास्क और 2 गज की दूरी को ना अपनाने वाले लोगों का यह भ्रम है कि उनको पिछले साल जब महामारी ने अपनी चपेट में नहीं लिया तो इस साल भी वह महामारी की चपेट में नहीं आएंगे इसी वजह से वह मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। लोगों को यह समझा समझना चाहिए कि इस समय महामारी और ज्यादा तेजी से बढ़ रही है।
जिसकी वजह से लाखों की तागात में लोग अस्पताल जा रहे हैं। लेकिन जिले के एकमात्र सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी देखने को मिल रही है फ्लीट मैनेजर हरकेश डागर ने बताया कि हर रोज करीब है 20 सिलेंडरों की मांग करते हैं।
लेकिन उनको मिलते सिर्फ 10 ही है। क्योंकि जिले में ऑक्सीजन की कमी देखी जा रही है। जैसे जैसे मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। वैसे-वैसे ऑक्सीजन की कमी भी होती जा रही है।
जिससे गंभीर मरीजों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। जो लोग ज्यादा बीमार नहीं है उन्हें होम आइसोलेशन के लिए बोला जा रहा है। परंतु उसके बावजूद भी वह हॉस्पिटल में एडमिट हो रहे हैं और जिनकी हालत बदतर है ।
वह सड़कों पर परेशानी का सामना कर रहे हैं । अब केवल ऑक्सीजन की सप्लाई 50 प्रतिशत ही रह गई है। ऑक्सीजन की कमी के कारण लाखों लोग जान गवा चुके हैं।
इसके अलावा कई अस्पताल ऑक्सीजन ना होने की वजह से एंबुलेंस भी नहीं चल पा रही है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो ऑक्सीजन की किल्लत रहेगी।