बढ़ा डर: मजदूर दिवस के अवसर पर अपने-अपने घर लौटने लगे प्रवासी मजदूर, कहा-इस बार रिस्क नहीं लेंगे

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दूसरों का घर बनाने में मशगूल मजदूरों का अपना स्वयं का कोई घर नहीं होता, मजदूरों की स्थिति पर यह वाक्य एकदम फिट बैठता है। जिले में आज वीकेंड लॉकडाउन की शुरुआत हुई वही शुरुआत होते ही जिले भर के प्रवासी मजदूर अपने सामान के साथ अपने- अपने गांव की ओर निकल पड़े, निराशा इस बात की रही कि तमाम कोशिशों के बावजूद भी प्रशासन प्रवासी मजदूरों को नहीं रोक पाया।


दरअसल, पिछले वर्ष लगे लॉकडाउन में प्रवासी मजदूर तबके को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ा। ‌ पलायन की तमाम तस्वीरें हृदय को विचलित कर गई थी। छोटे-छोटे बच्चों सहित अपने सामान को लेकर अपने अपने गांव की ओर बढ़ चले मजदूरों का जीवन अभी पूर्ण रूप से पटरी पर आया भी नहीं था कि एक बार फिर से जिले में वीकेंड लॉक डाउन की घोषणा हो गई।

बढ़ा डर: मजदूर दिवस के अवसर पर अपने-अपने घर लौटने लगे प्रवासी मजदूर, कहा-इस बार रिस्क नहीं लेंगे

एक बार फिर से मजदूरों को अपनी रोजी-रोटी का खतरा सताने लगा ऐसे में प्रवासी मजदूरों ने पलायन को ही एकमात्र विकल्प के रूप में देखा और अपने अपने गांव की ओर चल पड़े वही आज पूरा देश मजदूर दिवस मना रहा है। मजदूर दिवस पर मजदूरों के यह हालात व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस पर देश व प्रदेश के सभी श्रमिकों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि कमेरे व मेहनतकश मज़दूरों का देश की तरक्की में अहम योगदान रहा है ।

बढ़ा डर: मजदूर दिवस के अवसर पर अपने-अपने घर लौटने लगे प्रवासी मजदूर, कहा-इस बार रिस्क नहीं लेंगे

इस वर्ग के कारण ही देश व दुनिया की आर्थिक व औद्योगिक विकास की गतिविधियां बुलंदियों पर पहुंची हैं ।


बहरहाल, प्रवासी मजदूरों की जमीनी हकीकत सरकार के दावों से एकदम पलट है। ‌ सरकार की योजनाओं का फायदा मजदूर तबका कभी उठा ही नहीं पाया या फिर यह कहे कि जागरूकता की कमी ने मजदूरों को कभी आगे आने ही नहीं दिया।