जब भी कोई छोटे से गांव या क्षेत्र का शख्स बड़े सपने देखता है तो ज्यादातर लोग उसे डिमोटिवेट करते हैं। बस परिवार ही एक है जो हमेशा हर चीज में सपोर्ट करता है। महाराष्ट्र के नांदेड़ के छोटे से गांव जोशी सांघवी की रहने वाली वसीमा ने भी बहुत बड़े सपने देखे थे। कदम कदम पर उनकी जिंदगी उनके लिए नई नई चुनौतियां सामने रख देती।
लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और संघर्ष किया। इसमें उनके भाई का भी बहुत बड़ा योगदान है। अपनी बहन को पढ़ाने के लिए भाई ने ना धूप देखी न कड़कड़ाती ठंड। आज वह जिस मुकाम पर हैं वहां तक का सफर बहुत ही मुश्किल भरा था। लेकिन दिन रात की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने यह सफलता हासिल की है।
बता दें कि 2018 में महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग की परीक्षा में उन्होंने तीसरी रैंक (Vasima secured 3Rd rank in the Maharashtra Public Service Commission examination) हासिल की थी और उनका चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ था। वह सेल्स टैक्स में इंस्पेक्टर का पद संभाल रहीं हैं। यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है।
Congrats Waseema Shaikh for clearing MPSC exam with 3rd Rank. She is from village Joshi Sangvi, Taluka Khandhar, Nanded district. 26 yrs old is now Deputy Collector. pic.twitter.com/Qb5REI3NHv
— Shoeb Sayyed (@MdShoebSayyed) June 24, 2020
एक वक्त ऐसा भी था जब उन्हे दूसरों के खेतों में भी काम करना पड़ा। जब पिता बीमार पड़े तो बड़े भाई के ऊपर घर की सारी जिम्मेदारियां आ गई। बहन को पढ़ाने के लिए भाई ने रिक्शा तक चलाया। वहीं मां भी दूसरों के घरों में काम करती थी ताकि परिवार का खर्चा चल सके और बेटी की पढ़ाई में कोई रुकावट ना आए।
जिस गांव से वह आती हैं वहां की आबादी लगभग 3000 है। यहां लड़कियों के लिए पढ़ने का कोई अवसर नहीं है क्योंकि जैसे ही वे युवावस्था में प्रवेश करती हैं उनकी शादी कर दी जाती है सातवीं कक्षा के बाद लड़कियों को स्कूल छोड़ने पर मजबूर किया जाता है।
बता दें कि वसीमा पहले एक खेतिहर मजदूर थी, पढ़ाई के प्रति उनके अंदर काफी जुनून था। झोपड़ी में बिजली न होने के बावजूद उन्होंने 2012 में एसएससी बोर्ड में टॉप (Vasima Topper of SSC Board) किया और कॉलेज के लिए हर दिन लगभग 6 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था क्योंकि उस समय वहां कोई परिवहन उपलब्ध नहीं था।
लेकिन जब जूनियर कॉलेज की 12वीं की परीक्षाएं पास आईं तो वह एक रिश्तेदार के घर पर रुकी और वहीं से परीक्षाएं देने जाती थी और यहीं से वह अपनी किस्मत खुद लिखनी शुरू कर दी थी।