पूरा देश बीते 3 महीनों में लॉकडाउन के दौर से गुजरा है और अब वापस से सभी सुविधाओं को सुचारु रुप से चालू कर सामान्य दिनों की तरफ लौटने का प्रयास कर रहा है। लॉक डाउन में जहां अधिकतर लोग अपने रोजगार से दूर हो गए थे अब अपने रोजगार की तरफ धीरे-धीरे वापस लौट रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी हरियाणा प्रदेश के बेरोजगारी दर में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है।
अभी हाल ही में सीएमआईई द्वारा जारी की गई ताजा रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा प्रदेश बेरोजगारी के मामले में पूरे देश में सबसे टॉप पर बना हुआ है। जारी हुई इन रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा के 33.6 फ़ीसदी लोग अभी भी बेरोजगार हैं और अपने रोजगार की तरफ वापस नहीं लौट पा रहे हैं।
केवल हरियाणा प्रदेश का यह बेरोजगारी दर पूरे भारत देश के बेरोजगारी दर से 3 गुना अधिक है। जहां पूरे देश का बेरोजगारी दर 11% है वहीं केवल हरियाणा प्रदेश में 33.6% लोग बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं जो हरियाणा प्रदेश सरकार के लिए एक चिंताजनक विषय है।
हरियाणा प्रदेश का बेरोजगारी दर प्रदेश सरकार के लिए चिंता का विषय इसलिए भी बना हुआ है क्योंकि हरियाणा प्रदेश का बेरोजगारी दर यूपी बिहार जैसे पिछड़े राज्यों से भी आगे निकल चुका है। प्रदेश में गुरुग्राम एवं फरीदाबाद जैसे इंडस्ट्री डाउन होने के बाद भी प्रदेश में बेरोजगारी की यह दर सरकार की असफलता का एक उदाहरण है।
हरियाणा प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश की इस बढ़ती बेरोजगारी दर को कम करने के लिए अभी हाल ही में कैबिनेट की बैठक कर एक फैसला लिया गया जिसमें तय किया गया कि प्रदेश में सभी निजी कंपनियों में प्रदेश के युवाओं को 75 फ़ीसदी आरक्षण दिया जाएगा।
अर्थात सरकार के इस फैसले के बाद प्रदेश की सभी निजी कंपनियों में 75 फ़ीसदी लोग हरियाणा प्रदेश के होंगे जिन्हें रोजगार की प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार का यह निर्णय बेरोजगारी की बढ़ती दर को कम करने में किस हद तक सफल साबित होगा इसके बारे में कुछ कह पाना अभी संभव नहीं है।
लेकिन प्रदेश में बढ़ती इस बेरोजगारी की दर प्रदेश में बढ़ते हुए अपराध एवं नसे में पड़ते युवाओं का भी एक बड़ा कारण है क्योंकि जिस प्रदेश में एक तिहाई आबादी बेरोजगार हो उस प्रदेश में अपराध चरम पर होना लाजमी है।