कहते है कि एक पर्यटक की आत्मा कभी संतुष्ट नहीं होती है, वह चाहे किसी भी जगह की कितनी भी यात्रा कर ले, उसका मन फिर उसी जगह नए इलाकों का पता लगाने में लग जाएगा।
करोड़ों सालों से जिज्ञासु लोग उन नई या पुरानी जगहों की यात्राएं करते आए हैं। नई जगहों और संस्कृतियों को जानने की इच्छा ने दुनिया को एक साथ आने और प्रभावी रूप से जुड़ने में मदद की है।
जिस गति के साथ पर्यटन उद्योग के रूप में विकसित हुआ है, उसे देखते हुए 1974 में 1 सितंबर को हरियाणा टूरिज़्म दिवस के रूप में घोषित किया आज हरियाणा का 46 वां पर्यटन दिवस है
वही हरियाणा टूरिज्म में अपना अहम रोल अदा करते है फरीदाबाद का सूरजकुंड मेला हर साल लगने वाला अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेला हरियाणा टूरिज्म को बढ़ावा तो देता है साथी आर्थिक तौर पर अपना महत्वपूर्ण योगदान निभाता है हालांकि फरीदाबाद में टूरिज़म के नाम पर सूरजकुंड मेला और बड़खल झील का नाम भी आता है
वही हरियाणा में प्राकृतिक दृष्टि से पर्यटन स्थलों का अभाव रहा है, लेकिन इसके बावजूद यहां ऐसे पर्यटक स्थलों का विस्तार किया गया है, जिसके कारण यह राज्य देश के पर्यटन मानचित्र पर अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा है।
जैसे देखा गया है कि भारत में अतिथि सत्कार की एक विशेष परंपरा है। ‘अतिथि देवो भव’ इसी परंपरा को इंगित करता है और हरियाणा भी इसमें पीछे नही रहना चाहता है
हालांकि हरियाणा धार्मिक और ऐतिहासिक इमारतों की दृष्टि से समृध्द है। चाहे मामला कुरुक्षेत्र की पवित्र धरती पर श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को गीता का ज्ञान देने का हो, पानीपत की तीन महत्वपूर्ण लड़ाइयों का हो या फिर फिरोजशाह तुगलक द्वारा अपनी प्रेमिका गूजरी के लिए बीहड़ बयांबान जंगल में हिसारे-फिरोजां का निर्माण कर उसमें गूजरी महल बनवाने का हो।
यहां के कण-कण में इतिहास बोलता है। राज्य में रूरल टूरिज्म को बढ़ावा की एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी है। एक किवदंती के मुताबिक देवताओं ने पृथ्वी पर खेती की शुरुआत महाराज कुरु से करवाई थी। उन्होंने सरस्वती नदी द्वारा सिंचित कुरुक्षेत्र जिले के पेहवा कस्बे में स्थित बीड़ बरसवान में पहली बार सोने का हल चलाया था।
भगवान विष्णु ने इस भूमि में धान का बीज बोया था। यहां उगी चावल की फसल को बीड़ के नाम पर बासमाती कहा जाने लगा। गौरतलब है कि बासमाती शब्द का अर्थ माटी की सुगंध है। हर साल हरियाणा में करीब 65 लाख पर्यटक आते हैं, जिनमें लगभग एक लाख विदेशी पर्यटक शामिल हैं।
संयुक्त परियोजना के तहत पर्यटन विभाग पुराने ऐतिहासिक व पौराणिक गाथाओं को समेटे भवनों के रख-रखाव में भी अहम भूमिका निभा रहा है,
जिसमें महेंद्रगढ़ का माधोगढ़ किला और बल्लभगढ़ में राजा नाहर सिंह का किला भी शामिल है। राज्य का कोई भी राष्ट्रीय राजमार्ग या राजमार्ग ऐसा नहीं है, जहां 40 से 50 किलोमीटर की दूरी पर पर्यटन स्थल न हो। राज्य में सरकार ने 44 पर्यटन स्थलों का फैलाव किया गया है,
जो हरियाणा पर्यटन विभाग द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा 28 पर्यटन स्थल निजी क्षेत्र चला रहे हैं। कलेसर राज्य का एकमात्र ऐसा पर्यटन स्थल है जो शिवालिक की पहाड़ियों के साथ-साथ हरे-भरे पेड़-पौधों की छटा से घिरा हुआ है। पिंजौर में मनोरंजक पार्क भी स्थापित किया गया। यह स्थल शिवालिक की पहाड़ियों के समीप है
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जिसमें बने मुगल गार्डन, जल महल और मानव निर्मित झरने, लघु चिड़िया घर इसके सौंदर्य को और निखार रहे हैं। पंजौर एक ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल है। यहां पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान एक साल का गुप्त समय बिताया था।
कालांतर में वही स्थान पिंजौर गार्डन के नाम से जाना जाता है। 17वीं शताब्दी में यह मुगल गार्डन था, जिसकी वास्तुकला का निर्माण बादशाह औरंगजेब के भतीजे नवाब फिदई खान ने कराया था। यह वही नवाब था,
जिसने लाहौर में शाही मस्जिद का डिजाइन तैयार किया था। 1775 में पटियाला में महाराज अमर सिंह ने पिंजौर गार्डन को खरीदकर अपनी जमीन में मिला लिया था। वे इसके सौंदर्य को बनाए रखने के लिए नियमित रूप से इस मुगल गार्डन का दौरा किया करते थे। हरियाणा के गठन के वक्त 1966 में इस मुगल गार्डन को हरियाणा को सौंप दिया गया। मुगल गार्डन के शीश महल व रंग महल को भी पर्यटन केंद्र में तबदील कर दिया गया है।